मलेरिया की रोकथाम को लेकर अलर्ट हुआ विभाग
मलेरिया की रोकथाम का लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट है। विभागीय अधिकारी लगातार कर्मचारियों के साथ बैठ कर उन्हें मलेरिया से निपटने के बारे में निर्देश दे रहे हैं। इसी कड़ी में नूंह के सिविल अस्पताल में मलेरिया को लेकर बैठक हुई। बैठक में कर्मचारियों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा. गोविद शरण ने बताया कि मलेरिया जैसी बीमारी के प्रकोप से बचने के लिए अपने आसपास पानी को न रुकने दिया जाए।
जागरण संवाददाता, नूंह : मलेरिया की रोकथाम का लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट है। विभागीय अधिकारी लगातार कर्मचारियों के साथ बैठक कर उन्हें मलेरिया से निपटने के बारे में निर्देश दे रहे हैं। इसी कड़ी में नूंह के सिविल अस्पताल में मलेरिया को लेकर बैठक हुई।
बैठक में कर्मचारियों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा. गोविद शरण ने बताया कि मलेरिया जैसी बीमारी के प्रकोप से बचने के लिए अपने आसपास पानी को न रुकने दिया जाए। गमलों में भी अधिक समय तक पानी ना रहने दें। उन्होंने शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में फॉगिग जल्द शुरू करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू व चिकनगुनिया बुखार के टेस्ट के काफी महंगे दामों पर होते हैं। जिससे मरीजों को अतिरिक्त खर्चा भी वहन करना पड़ता है। मलेरिया से निपटने के लिए जल्द ही सभी जगह पर फॉगिग का कार्य शुरू करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मछली विभाग भी तालाबों में मच्छरों का लारवा खाने वाली मछलियों को डालेगा। मलेरिया से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तैयार है।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में शिविरों के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं। इसका असर भी देखने को मिला है। पिछले साल मलेरिया के मामले बहुत कम ही सामने आए थे। तराई वाले इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की टीमें दौरा कर पर्याप्त इंतजाम कर रही हैं।
बैठक में मलेरिया की रोकथाम, बचाव और मलेरिया की दवा 14 दिन खाने के बारे जानकारी भी दी गई। उन्होंने बताया कि डेंगू और मलेरिया से बचने के लिए सारा परिवार पूरे कपड़े पहने। सोते समय मच्छरदानी व नीम के तेल का प्रयोग करें और गड्ढों में खड़े हुए पानी पर ट्रैक्टर का सड़ा हुआ तेल डालें ताकि वहां मच्छर पैदा न हो।
इसी कड़ी में बताया कि घरों के आस-पास कूड़े की सफाई रखें ताकि वहां मच्छर पैदा न हो। छत के उपर या घर के आंगन में कोई कप, मटका,प्लेट, टायर ना हो जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा हो क्योंकि इसमें डेंगू व मलेरिया का मच्छर पैदा होता है।
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