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यहां हो रही गोमांस की होम डिलीवरी, पुलिस नहीं करती गश्त; इलाके में लगती है दो राज्यों की सीमा

अलवर जिला के गिदावड़ा की तरह हरियाणा-राजस्थान सीमा पर चित्तौड़-निहारिका के बीच अरावली की तलहटी में स्थित थरुर के कुआं में बीफ मंडी लगाई जा रही है। यहां पर रोजाना तीस से चालीस गोवंशी का वध करने के बाद गोतस्कर आसपास के गांवों में सुबह पांच बजे से सात बजे के बीच होम डिलीवरी करते हैं। कुछ इलाका नूंह क्षेत्र में आता और कुछ राजस्थान का।

By Satyendra Singh Edited By: Geetarjun Published: Wed, 21 Feb 2024 07:42 PM (IST)Updated: Wed, 21 Feb 2024 07:42 PM (IST)
हरियाणा के नूंह जिले स्थित एक इलाके में लगाई जाती है बीफ मंडी।

सत्येंद्र सिंह, नूंह। अलवर जिला के गिदावड़ा की तरह हरियाणा-राजस्थान सीमा पर चित्तौड़-निहारिका के बीच अरावली की तलहटी में स्थित थरुर के कुआं में बीफ मंडी लगाई जा रही है। यहां पर रोजाना तीस से चालीस गोवंशी का वध करने के बाद गोतस्कर आसपास के गांवों में सुबह पांच बजे से सात बजे के बीच होम डिलीवरी करते हैं। कुछ इलाका नूंह क्षेत्र में आता और कुछ राजस्थान का।

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नूंह पुलिस रात में सड़कों पर ही गश्त करती पर जंगली क्षेत्र में लगने वाली बीफ मंडी तक नहीं पहुंचती। इसकी एक बड़ी वजह है कि थाना में नियुक्त पंद्रह से बीस पुलिस कर्मियों को लेकर वहां पर छापेमारी नहीं की जा सकती।

छापेमारी करने के लिए 150 से 200 हथियारों से लैस पुलिस कर्मियों की जरूरत है। पुलिस को तस्करों पर वैसे ही प्रहार करना चाहिए जैसे 29 वर्ष 2023 को पांच हजार पुलिस कर्मियों के साथ गो तस्करों तथा साइबर ठगों को पकड़ने के लिए आपरेशन चलाया था।

कम पुलिस कर्मियों को देख बदमाश उनके ऊपर हमला भी कर सकते हैं। पहले ऐसी कई घटना भी सामने आ चुकी हैं। अवैध मंडी को खतम करने के हरियाणा और राजस्थान पुलिस को संयुक्त आपरेशन चलाना चाहिए। आपरेशन की तैयारी भी पहले की तरह से गुपचुप तरीके से होनी चाहिए।

कब ऑपरेशन चलेगा, तथा लोकेशन के बारे में टीम लीडर को ही पता हो, थाने स्तर पर अगर योजना बनी तो जैसे गिदवाड़ा में हुआ वैसा होगा। तस्करों के समूह में से चार पांच बदमाश ही हाथ लगेंगे।

थरुर के कुआं पर लगने वाली मंडी में गांव महूं, घटवासन, पापडी, लुहिंगा खुर्द, बघौला, नाहरिका, दोहा, कोलगांव, घाटा शमशाबाद, हिरवाडी, बीवां, नांगल मुबारिकपुर, कोलगांव, ढाणा, बूबलहेडी, बडेड, घाघस, कंसाली, जमालगढ, पचगांव, मूलथान, नगीना, उमरा, उमरी, झिमरावट में रहने गोतस्कर गोवंशी का वध करते हैं। इस काले धंधे में राजस्थान सीमा के गांव के सौ से अधिक गोतस्कर शामिल होते हैं। पहले यह अपने गांव में घर या बाड़े में पशुओं का वध कर सरेआम मांस बेचते थे।

नूंह पुलिस की सख्ती की वजह से घर के ठिकाने छोड़ अरावली के तलहटी में गोवंशी ले जाकर उनका वध करते हैं। यह कृत्य भी रात दो बजे के बाद आरंभ करते हैं, फिर चोरी की बाइकों से मीट लादकर उसे गांवों तथा कस्बों के होटलों तक पहुंचाते हैं। गांव में बीफ खाने वालों लोगों के घर भी आधा से एक किलो तथा दो किलो के पैकेट मांग के हिसाब से पहुंचाते हैं।

सुबह मुख्य नाकों पर भी पुलिस कर्मी नहीं नजर आते, जिससे उन्हें कोई रोकने वाला नहीं होता हैं। पुलिसकर्मी चार बजे तक गश्त करने के बाद थाने आ जाते हैं। कई तस्कर तो बाइक पर पीछे बोरे की थैली में ऊपरी भाग पर हरी सब्जी भर लेते हैं, अंदर मांस के पैकेट होते हैं। हांलाकि बीट के सिपाही को सब पता होता है, लेकिन कार्रवाई तभी होती जब ऊपर से आदेश होता है।


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