विजिलेंस को जांच सौंपकर आयोग पर जताया भरोसा : बैंदा
विजिलेंस को बालगृह की जांच सौंपकर सरकार ने आयोग की रिपोर्ट को काफी हद तक सही ठहराया व ऐसे तत्वों की बोलती बंद की है जो आयोग की रिपोर्ट पर ही विभिन्न सवालिया निशान लगा रहे थे। आयोग चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने तावडू खंड के गांव पीपाका स्थित ऑर्फन इन नीड बालगृह का कुछ समय पूर्व औचक निरीक्षण किया था। जिसमें बालगृह में काफी अनियमितताएं पाई गई थी। उसके बाद सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग की अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) डॉ. सरिता मलिक को दुबारा जांच के लिए भेजा। ये रिपोर्ट भी सरकार को प्रेषित हो गई। सूत्रों के मुताबिक इस जांच से सरकार संतुष्ट नहीं हुई। उसके बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य सुशील वमर ने अपनी टीम के साथ बालगृह की जांच की। जिसमें बालगृह प्रबंधन
जागरण संवाददाता, तावडू: ऑर्फन इन नीड बालगृह मामले में मुख्यमंत्री ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई की बात कही है, जिन्होंने सरकार को मामले की गलत रिपोर्ट की या जांच रिपोर्ट को दबाए रहे। वहीं इस सूचना पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ने संतुष्टि जाहिर की है। उनके मुताबिक विजिलेंस को बालगृह की जांच सौंपकर सरकार ने आयोग की रिपोर्ट को काफी हद तक सही ठहराया व ऐसे तत्वों की बोलती बंद की है जो आयोग की रिपोर्ट पर ही विभिन्न सवालिया निशान लगा रहे थे।
आयोग चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने तावडू खंड के गांव पीपाका स्थित ऑर्फन इन नीड बालगृह का कुछ समय पूर्व औचक निरीक्षण किया था। जिसमें बालगृह में काफी अनियमितताएं पाई गई थी। उसके बाद सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग की अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) डॉ. सरिता मलिक को दोबारा जांच के लिए भेजा। ये रिपोर्ट भी सरकार को प्रेषित हो गई। सूत्रों के मुताबिक इस जांच से सरकार संतुष्ट नहीं हुई। उसके बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य सुशील वर्मा ने अपनी टीम के साथ बालगृह की जांच की। इसमें बालगृह प्रबंधन ने लिखित रूप से अपनी एक दर्जन अनियमितताओं का आयोग को पत्र सौंपा। इस जांच के बाद सरकार ने नूंह प्रशासन से जांच कराने बारे आदेश जारी किए। उपायुक्त के आदेश पर तत्कालीन अतिरिक्त उपायुक्त प्रदीप दहिया ने स्वयं सहित 11 सदस्य कमेटी का गठन किया। 31 अगस्त को इस कमेटी ने बालगृह की काफी देर तक जांच की। लेकिन अब तक ये जांच रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं हुई है। अब विजिलेंस जांच में क्या सामने आएगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन मुख्यमंत्री के उक्त आदेश ने प्रदेश के ऐसे समस्त बालगृह संचालकों के पसीने अवश्य छुड़ा दिए हैं जिन्होंने बालगृह को अपने व्यवसाय व अन्य गतिविधियों का अड्डा बना रखा है। बालगृह पर ये हैं आरोप:
बच्चों का समुचित रिकॉर्ड नहीं, अन्य जिले के बच्चों को रखना, एक ही समुदाय के बच्चों को रखना, बच्चों की शिक्षा का समुचित प्रबंध नहीं, बच्चों के अभिभावकों से अनर्गल एफिडेविट लेना, बालगृह में तहखाना, बालगृह पर नाम तक अंकित न होना, बालगृह को मिलने वाली फं¨डग, बालगृह की वेबसाइट पर बीफ की डिमांड, बच्चों का समुचित मेडिकल चैकअप न होना। मुख्यमंत्री ने बालगृह की जांच विजिलेंस को सौंपकर आयोग की जांच पर भरोसा जताया है। वहीं सीएम के आदेश से उन लोगों के मुंह पर भी ताला लगा है जो आयोग की जांच पर सवालिया निशान खड़े करते थे।
-ज्योति बैंदा, चेयरपर्सन हरियाणा बाल अधिकार संरक्षण आयोग।