संशोधित:: शिक्षा का स्तर सुधारने को मेहनत की : बसरुद्दीन
इतिहास में मुख्याध्यापक बसरुद्दीन खान पहले अध्यापक हैं जिन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। हालांकि उनको इस बार राज्य स्तर पर भी राज्यपाल द्वारा पुरस्कार से नवाजा गया है। इससे पूर्व जिले के किसी भी अध्यापक को यह गौरव नहीं मिला है, लेकिन जिस तरह से मास्टर बसरुद्दीन ने बीते लगभग 24 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया है, जोकि आज दूसरे के लिए प्रेरेणा के प्रतीक बन गए हैं। अभावों में सरकार व प्रशासन को कोसने वालों के लिए बसरूद्दीन खान ने एक मार्ग दिखाया है, कि अगर अपने कार्य को वह पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ करें, तो वह हर मुकाम को हासिल कर सकते हैं।। मास्टर बसरुद्दीन के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने पर दैनिक जागरण संवाददाता प्रवीन चौधरी ने उनसे विस्तृत बातचीत की। आइए जानते हैं उसके कुछ अंश :
नाम - बसरुद्दीन खान।
पिता का नाम- कमरुद्दीन।
पद- मुख्याध्यापक, टपकन नूंह।
जन्म स्थान - गांव डभावली, तहसील नगर जिला भरतपुर, राजस्थान।
निवासी- नंगली रोड नजदीक मारिया मंजिल स्कूल वार्ड दो, नूंह।
पोस्टिंग : 16 दिसंबर 1993, झारपुरी पिनगवां, सिरौली लगभग 18 वर्ष, वर्तमान में टपकन गांव के स्कूल में पांच वर्ष से हैं।
शिक्षा- बीएससी आरआर कॉलेज अलवर, बीएड एमडीयू रोहतक।
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नूंह जिला देश व प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में गिना जाता है, जहां पर विकास के हर क्षेत्र में कार्य करने की जरूरत है। कुछ लोग हर बाधा के लिए सरकार व प्रशासन को दोषी मानते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने परेशानियों के बीच से ही सफलता का रास्ता खोज लिया। टपकन गांव के राजकीय माध्यमिक के मुख्याध्यापक मास्टर बसरुद्दीन खान भी उनमें से एक हैं। पांच सितंबर को उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया। मास्टर बसरुद्दीन नूंह जिले से ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा से अकेले अध्यापक हैं जिन्हें इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। उनको इस बार राज्यपाल द्वारा पुरस्कार से भी नवाजा गया। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके मास्टर बसरुद्दीन की शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यो के लिए प्रशंसा की थी। उनकी इस उपलब्धि पर दैनिक जागरण संवाददाता प्रवीन चौधरी ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं कुछ अंश:।
राष्ट्र स्तर पर सम्मानित किए जाने पर कैसा लग रहा हैं?
राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिलने पर अलग खुशी की अनुभूति हो रही है। किसी भी क्षेत्र में अगर ईमानदारी, निष्ठा व लगन के साथ कार्य किया जाए, तो फल अवश्य मिलता है। हमें अपने हर कार्य को बिना फल की इच्छा के साथ करना चाहिए।
पूरे हरियाणा से आपका ही राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन हुआ है, इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
देखिए हमारे जिला शिक्षा अधिकारी का फोन आया था कि नेशनल और स्टेट पुरस्कार के लिए आपका नाम भेज रहे हैं। मैंने केवल राज्य स्तरीय पुरस्कार की ही उम्मीद लगाई थी। लेकिन फिर नेशनल अवार्ड के लिए मुझे फोन आया कि आप अपनी प्रेजेटेशन लेकर आएं। जिसके बाद मुझे लगा कि मैं नेशनल अवार्ड के लिए जरूर चयनित हो जाउंगा। मैंने बिना किसी पुरस्कार की उम्मीद में अपना काम किया। लेकिन सरकार में पूरी पारदर्शिता है, जिसके आधार पर आज मुझे मेरे कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
- शिक्षा के क्षेत्र में किस तरह से कार्य करने की जरूरत है?
नूंह जिला पूर्व से ही शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ हैं। यहां पर दूसरे क्षेत्रों में भी काम करने की जरूरत है। नूंह के युवाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। यहां मुख्य रूप से शिक्षा की दिशा में बेहतर कार्य करने की जरूरत है। मैंने हमेशा एक शिक्षक की भूमिका के अनुसार ही कार्य किया है। जिस दिन लोग अपनी सोच को बदल लेंगे, उस दिन निश्चित तौर पर जिले को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा सकता है।
- युवाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
मेरा बस यही संदेश है कि वे शिक्षित बनें। शिक्षा से ही समाज और देश का भला हो सकता है। अध्यापकों के लिए भी मेरा एक ही संदेश है कि वे बिना किसी पुरस्कार की उम्मीद किए बेहतर कार्य करें।