आर्य समाज मंदिर में मनाया जन्माष्टमी का पर्व
नूंह के आर्य समाज मंदिर रविवार को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया। दैनिक यज्ञ के बाद जन्माष्टमी के लिए नियत मंत्रों से यज्ञ किया। यज्ञ के बाद सुनील द्वारा एक भजन गाया। इस अवसर पर प्रधान ज्ञानचंद आर्य ने योगेश्वर कृष्ण के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कृष्ण का जन्म विपरीत परिस्थितियों में मथुरा के राजकीय कारागृह में हुआ। उन्होंने बाल्यकाल में ही कंस के अनेक अनुचरों को मार गिराया। कृष्ण ने गुरु संदीपनी के आश्रम में वेद वेदांगो का अध्ययन किया। ज्ञानचंद
जागरण संवाददाता, नूंह:
नूंह के आर्य समाज मंदिर में रविवार को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया। दैनिक यज्ञ के बाद जन्माष्टमी के लिए नियत मंत्रों से यज्ञ किया। प्रधान ज्ञानचंद आर्य ने योगेश्वर कृष्ण के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कृष्ण का जन्म विपरीत परिस्थितियों में मथुरा के राजकीय कारागृह में हुआ। उन्होंने बाल्यकाल में ही कंस के अनेक अनुचरों को मार गिराया। कृष्ण ने गुरु संदीपनी के आश्रम में वेद वेदांगों का अध्ययन किया।
ज्ञानचंद आर्य ने बताया कि कृष्ण का चरित्र अत्योत्तम था। ज्ञान चंद आर्य ने बताया कि महर्षि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश में श्रीकृष्ण को आप्त पुरुष की संज्ञा दी है। स्वामी जी ने लिखा है श्रीकृष्ण का चरित्र अति उत्तम था। वह धर्म योग बल बुद्धि चातुर्य में सबसे उत्तम थे। उनकी योग्यता की वजह से ही महात्मा भीष्म पितामह ने उन्हें राजसुय यज्ञ में अग्र पूजा का अधिकारी बनाया था। उन्होंने कहा कि पूरा विश्व आज श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मना रहा है। हमें भी श्रीकृष्ण के आदर्शों को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम में सुरेश आर्य, पंकज शर्मा, जेएस सैनी एडवोकेट, मास्टर जयभगवान, कुलवंत बघेल, मास्टर शीशपाल, सुनील गर्ग, महेंद्र जांगड़ा और किशनचंद गर्ग सहित कई लोग मौजूद रहे।