कैसे खुशहाल हों किसान, मिट्टी जांच तक की सुविधा नहीं
प्रदेश सरकार किसानों को खुशहाल बनाने के भले ही बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन नूंह जिले में सरकार के ये दावे फेल हैं। जिले के
जागरण संवाददाता नूंह: प्रदेश सरकार किसानों को खुशहाल बनाने के भले ही बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन नूंह जिले में सरकार के ये दावे फेल हैं। जिले के 85 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है। जमीनी व नहरी पानी के अभाव के साथ अधिकतर क्षेत्र में मिट्टी भी फसल के लायक नहीं है।
वर्षों पूर्व सरकार ने नूंह व फिरोजपुर झिरका में मृदा परीक्षण के लिए लैब की स्थापना की थी, लेकिन लंबे अर्से के बाद किसी भी सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया। इससे कृषि विभाग द्वारा कई बार किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने को जांच के लिए पलवल व बल्लभगढ़ की लैब में भेजा जाता है। इससे किसानों को महीनों जांच रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता है।
किसानों को समय पर रिपोर्ट नहीं मिलने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अगर समय पर किसानों को रिपोर्ट मिल जाए, तो वह कृषि अधिकारियों के परामर्श से अपनी खेती में सुधार के लिए कार्य कर सकते हैं। ऐसे में मृदा परीक्षण की लैब नहीं होने से किसान बहुत ही परेशान है। हालांकि अस्थाई तौर पर पुराने एडीसी कार्यालय के समीप जरूर मृदा परीक्षण की लैब चलाई जा रही है, लेकिन यह भी केवल खानापूर्ति तक ही सीमित है। किसान आज भी दूसरे जिलों में जांच के लिए मिट्टी के सैंपल लेकर जाते हैं।
जिले में मृदा परीक्षण के लिए दो लैब बनी हुई है। जोकि नूंह व फिरोजपुर झिरका में स्थित है। इनमें नूंह की लैब पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। वहीं फिरोजपुर झिरका की लैब को किसी प्राइवेट इमारत में चला रखा है। दोनों जगह पर मृदा परीक्षण का भारी अभाव है। इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है।
-डॉ. अजीत ¨सह, एसडीओ, कृषि विभाग।