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मेवात में जल संचयन की दिशा में एक्सप्रेस-वे बनेगा महत्वपूर्ण कड़ी

निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (एनएच 148एन) से मेवात क्षेत्र की तस्वीर बदल जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 06:19 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 05:14 AM (IST)
मेवात में जल संचयन की दिशा में एक्सप्रेस-वे बनेगा महत्वपूर्ण कड़ी
मेवात में जल संचयन की दिशा में एक्सप्रेस-वे बनेगा महत्वपूर्ण कड़ी

अख्तर अलवी, फिरोजपुर झिरका

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निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (एनएच 148एन) से मेवात क्षेत्र की तस्वीर बदल जाएगी। यही नहीं, यह राष्ट्रीय राजमार्ग मेवात क्षेत्र में जल संचयन और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होने वाला है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की योजना के मुताबिक 1260 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे पर बारिश के पानी को संचयन के लिए हजारों की संख्या में हार्वेस्टिग सिस्टम लगाए जाने हैं। यह हार्वेस्टिग सिस्टम हर 500 मीटर की दूरी पर लगाए जाने की योजना है। मेवात में एनएचएआइ द्वारा जल संचयन की दिशा में उठाया गया यह अभी तक का सबसे बड़ा कदम है। इससे पहले इस तरह के प्रयास यहां संभव नहीं हो सके थे।

बता दें कि वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने पिछड़े इलाकों को विकास की मुख्यधारा में जोड़ते हुए हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट्र के पिछड़े जिलों की धरती से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे बनाने की घोषणा की थी। घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए वर्तमान में इस राष्ट्रीय राजमार्ग को दिल्ली से गुरुग्राम, नूंह, कोटा, रतलाम, दाहोद, वडोदरा, सूरत से निकाला जा रहा है। नूंह में इसकी कुल लंबाई 70 किलोमीटर से अधिक है। जल संचयन के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी मिलेगा बल: निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर योजना के मुताबिक करीब 10 लाख पौधे लगाए जाने हैं। एक तरफ जहां जल संचयन के लिए हार्वेस्टिग सिस्टम लगाए जा रहे हैं, वहीं पर्यावरण की स्थिति को सुधारने तथा संरक्षण देने के लिए इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर 10 लाख पौधे लगाए जा रहे हैं। निश्चित रूप से इन पौधों के लगने के बाद क्षेत्र और आसपास के इलाकों में पर्यावरण संरक्षण को बल मिलने वाला है। मेवात की धरती से गुजर रही अभी तक की सबसे बड़ी परियोजना: राष्ट्रीय राजधानी से सटे मेवात इलाके में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के रूप में केंद्र सरकार द्वारा दी गई अभी तक की सबसे बड़ी सौगात है। इस एक्सप्रेस-वे को बनाने के लिए यहां की 70 किलोमीटर से अधिक जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। उपरोक्त राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिकृत की गई भूमि का मुआवजा अधिकांश किसानों को दिया जा चुका है। 6 से 8 लेन के प्रस्तावित इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा रही है। जल संचयन की दिशा में उठाए जा रहे प्रयासों से मैं बहुत खुश हूं। निश्चित ही इस योजना ने जल संरक्षण के प्रति मेरी उम्मीद बढ़ा दी है। इस एक्सप्रेस-वे के किनारे हार्वेस्टिग सिस्टम लगने पर इसका फायदा मेवात ही नहीं बल्कि समुचित इलाकों को होगा।

हाजी इब्राहिम अध्यक्ष, जल बिरादरी हरियाणा-राजस्थान मेवात क्षेत्र


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