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सोच बदलने से लगेगी दहेज प्रथा पर लगाम: आसिफ

जागरण संवाददाता, नूंह : सोच बदलने से ही दहेज प्रथा पर लगाम लग सकती है। आज दहेज प्रथा एक बह

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 May 2018 04:18 PM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 04:18 PM (IST)
सोच बदलने से लगेगी दहेज प्रथा पर लगाम: आसिफ

जागरण संवाददाता, नूंह : सोच बदलने से ही दहेज प्रथा पर लगाम लग सकती है। आज दहेज प्रथा एक बहुत बड़ी बुराई बनकर हमारे समाज को खोखला कर रही है। जो लोग पंचायतों में खड़े होकर दहेज ना लेने की बात कहते हैं, वही बाद में सबसे ज्यादा दहेज लेते व देते नजर आते हैं। इसलिए जरूरी है कि पहले हम अपनी सोच को बदलें और बाद में दूसरों को भी दहेज प्रथा को बंद करने के लिए प्रेरित करें। उक्त बातें मेवात विकास मंच के महासचिव आसिफ अली चंदनी ने कहीं।

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उन्होंने कहा कि 1970 में मेव समाज के चौधरी व पूर्व सांसद सदस्य तैय्यब हुसैन ने सबसे पहले जिले में दहेज प्रथा को खत्म करने की मुहिम चलाई थी। जिसके परिणाम सकारात्मक भी रहे। जिस वजह से तीन दिन की बजाय बारात एक दिन ठहरने लगी। लेकिन लोगों का सहयोग ना मिलने के कारण दहेज प्रथा पर पूर्ण रूप से लगाम ना लग सका। यही कारण है कि आज आए दिन दहेज के मामले सामने आ रहे हैं। जहां महिलाओं को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा हैं। महिला थानों में ऐसी शिकायतों के ढेर लगे हुए हैं। आसिफ अली ने कहा कि क्षेत्र में दहेज एक बड़ी बीमारी के रूप में पनप रहा है। अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो सर्व समाज को इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने क्षेत्र के सामाजिक संगठनों से दहेज प्रथा पर लगाने के लिए आगे आने की अपील की है।


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