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बरकरार रहेगा किसानों का एमएसपी का अधिकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पार्टी द्वारा चलाए जा रहे सेवा सप्ताह अभियान में पॉलीथिन को ना मोदी को हा कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव ने सोमवार को शहर के विभिन्न मोहल्लों में कपड़े के बैग वितरित किये।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 04:34 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 06:01 PM (IST)
बरकरार रहेगा किसानों का एमएसपी का अधिकार

जागरण संवाददाता, नारनौल :

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पार्टी द्वारा चलाए जा रहे सेवा सप्ताह अभियान में पॉलीथिन को ना मोदी को हा कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव ने सोमवार को शहर के विभिन्न मोहल्लों में कपड़े के बैग वितरित किये। इस मौके पर राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव ने कहा कि वर्ष 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कृषि अध्यादेश लागू करने की बात कही थी, अब एनडीए की सरकार इसे लागू कर रही है तो कांग्रेस इसे किसानों के लिए बुरा बता रही है।

राज्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि संबंधित नए विधेयकों में कहीं भी फसलों के एमएसपी को समाप्त करने की बात नहीं कही गई है। किसानों की फसल अनाज मंडियों में बिना किसी रुकावट के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ही खरीदी जाएगी और ज्यादा कीमत का अवसर मिलने पर किसान चाहेंगे तो ओपन मार्केट में भी बेच सकेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने राजनीतिक स्वार्थ की खातिर भोले-भाले किसानों को गुमराह करने में लगे हुए हैं। नए विधेयकों का विरोध करने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री रहते हुए ना केवल ओपन मार्केट की वकालत की थी बल्कि केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार द्वारा गठित समिति के चेयरमैन के तौर पर इन सिफारिशों पर हस्ताक्षर भी किए थे। कांग्रेस प्रदेश के किसानों को गुमराह कर रही है। मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में भी कांग्रेस पार्टी के विजन डॉक्यूमेंट में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग की वकालत की थी, लेकिन राजनीति से विवश कांग्रेसी आज व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं जबकि यह किसानों के लिए खुशहाली के नए रास्ते खोलने वाला कदम है।

भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा कि किसानों को सभी सुविधाएं पहले की तरह मिलती रहेंगी, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जिन नेताओं ने किसानों की जमीनों का अधिग्रहण करके प्राइवेट बिल्डरों को सौंपने का काम किया, आज वह खुद को किसान हितैषी होने का ढोंग रच रहे हैं।


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