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जुनून था इसलिए मिली सफलता

लक्ष्य निर्धारित कर उसे पाने का जज्बा हो तो सफलता अवश्य मिलती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:55 PM (IST)
जुनून था इसलिए मिली सफलता
जुनून था इसलिए मिली सफलता

ज्ञान प्रसाद, नारनौल:

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लक्ष्य निर्धारित कर उसे पाने का जज्बा हो तो सफलता अवश्य मिलती है। संयुक्त लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) में सफलता प्राप्त करने वाले युवाओं ने इसे साबित किया है। जिला के गांव कांवी निवासी देवयानी यादव ने जहां इस परीक्षा में 222वीं रैंक प्राप्त कर अपनी सफलता का परचम लहराया है वहीं गांव भाखरी के अभिषेक ने 288वीं रैंक के साथ उच्च मुकाम की ओर कदम बढ़ाया है। दोनों ही युवाओं ने पिछली बार भी अच्छे रैंक में सफलता प्राप्त की थी लेकिन उनका सपना प्रशासनिक अधिकारी बनना है इसलिए फिर से प्रयास किया तो न केवल रैंक में सुधार किया बल्कि सपना साकार होने के प्रति भी आश्वस्त हैं। पिछली बार साक्षात्कार में रह गईं थी देवयानी:

नांगल चौधरी: कांवी की बेटी देवयानी यादव ने यूपीएससी की परीक्षा में 222वीं रैंक के साथ सफलता की उड़ान भरकर क्षेत्र व गांव का नाम रोशन किया है। बेटी की इस उपलब्धि से पूरे गांव में खुशी का माहौल है। हिसार के मंडल आयुक्त विनय कुमार की बेटी को पिता से ही प्रशासनिक सेवा में जाने की प्रेरणा मिली। वर्तमान में देवयानी यादव राजस्थान के अलवर जिले की मुंडावर तहसील में बाल विकास संरक्षण अधिकारी (सीडीपीओ) के पद पर सेवारत हैं। कांवी के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी विनय यादव की दो बेटियां है। बड़ी बेटी देवयानी यादव ने राजस्थान के पिलानी से बिट्स संस्थान से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटल विषय में इंजीनियरिग की। इसके बाद सिविल सेवा में जाने का मन बनाया। छोटी बेटी तेजस्वनी कानून की पढ़ाई पूरी कर दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत कर रही हैं। देवयानी यादव में पिता की तरह आइएएस बनने का जुनून था। उन्होनें वर्ष 2018-19 में परीक्षा दी व प्री और मेन दोनों में सफलता हासिल की लेकिन साक्षात्कार में सफलता नहीं मिलने से उनका सपना अधूरा रह गया। इसके बाद देवयानी ने 2019-20 में राजस्थान के आरएएस (राजस्थान प्रशासनिक सेवा) की परीक्षा दी। प्रथम प्रयास में सफलता प्राप्त करने के बाद उन्हें राजस्थान के अलवर जिले की मुंडावर तहसील में बतौर सीडीपीओ पद पर नियुक्ति मिली। उनका लक्ष्य तो कुछ और था। इसलिए नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी जारी रखी। देवयानी की मां राजबाला बेटियों को कामयाब बनाने में लगातार मार्गदर्शक की भूमिका में रहीं। आज इस सफलता से समूचे क्षेत्र व गांव में खुशी का माहौल है।

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पिछली बार 595वीं थी इस बार 288वीं रैंक मिली

नारनौल के केशव नगर मोहल्ला में जश्न का माहौल है। यहां का होनहार युवा लोकसेवा आयोग की परीक्षा में 288वीं रैंक के साथ सफलता प्राप्त की है। मूल रूप से गांव भाखरी निवासी अभिषेक को उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि वे प्रशासनिक अधिकारी बनेंगे। पिछली बार उनकी 595वीं रैंक थी लेकिन इस बार सुधार के बाद 288वीं रैंक मिली। अभिषेक कुमार कहते हैं कि पिछली बार आइएएस नहीं बन पाने का थोड़ा मलाल तो है लेकिन नौकरी करते हुए भी सपना यहां पहुंचने का संजोया हुआ था। वर्तमान में अभिषेक गुजरात के बड़ौदा में रेलवे में अधिकारी हैं। पिछली बार 418वीं रैंक वाले आइएएस बन गए थे। इसलिए इस बार उन्हें जरूर अच्छी जगह मिलेगी। अभिषेक के पिता राजेश कुमार गुरुग्राम के सोहना ब्लॉक स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में मुख्य अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। अभिषेक के छोटे भाई सौरभ कुमार हैदराबाद में अमेजन कंपनी में प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। वर्तमान में यह परिवार नारनौल के केशवनगर में रह रहा है। अभिषेक ने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई नारनौल के सरस्वती सीनियर सेकेंडरी स्कूल से मेधावी सूची में नाम दर्ज कराते हुए उत्तीर्ण की तो बीटेक की पढ़ाई कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से की। अभिषेक ने अपनी सफलता का श्रेय पिता के साथ मां अनीता देवी और अपने गुरुजनों को दिया है जिन्होंने उन्हें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। अभिषेक का मानना है कि देश में शिक्षा पर काम करने की जरूरत है। अपना बेहतर देने का करें प्रयास:

अभिषेक का कहना है कि युवाओं को अपना बेहतर देने का प्रयास करना चाहिए। सफलता और असफलता जीवन के पहलू हैं। असफलताओं से सीख लेकर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए सोचना चाहिए।


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