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गुरुग्राम व दिल्ली जैसे बनने लगे नारनौल महेंद्रगढ़ के भी हालात

दुआ करो कि अब कोई भी कोरोना संक्रमण की चपेट में न आए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Apr 2021 06:58 PM (IST)Updated: Fri, 30 Apr 2021 06:58 PM (IST)
गुरुग्राम व दिल्ली जैसे बनने लगे 
नारनौल महेंद्रगढ़ के भी हालात
गुरुग्राम व दिल्ली जैसे बनने लगे नारनौल महेंद्रगढ़ के भी हालात

जागरण संवाददाता, नारनौल: दुआ करो कि अब कोई भी कोरोना संक्रमण की चपेट में न आए। यदि एक बार वायरस की चपेट में आए तो संक्रमित व्यक्ति को अपने जीवन की अंतिम सांसों को बचाने के लिए न आक्सीजन मिलेगी और न ही इलाज। इलाज के नाम पर लाखों रुपये खर्च भी हो जाएंगे और बची हुई जिदगी अस्पतालों के दर पर भटकती रह जाएगी। जी हां दिल्ली, गुरुग्राम व फरीदाबाद जैसे बड़े शहरों जैसे हालात अब नारनौल, महेंद्रगढ़ जैसे छोटे शहरों के भी हो गए हैं। हालात यह है कि शुक्रवार को सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में कुछ घंटों की आक्सीजन बची है। सरकारी अस्पताल में भी आक्सीजन वाले बेड भरे जा चुके हैं। निजी अस्पताल दाखिल तो कर रहे हैं पर आक्सीजन का भारी संकट वहां भी है। महेंद्रगढ़ जिले में एक टन आक्सीजन का कोटा प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित किया हुआ है, लेकिन जिला प्रशासन ने तीन टन आक्सीजन की आवश्यकता सरकार को भेजी हुई है। अभी यह कहना भी मुश्किल है कि निर्धारित कोटे की आक्सीजन भी पूरी कब तक मिलेगी।

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यहां बता दें कि पिछले एक सप्ताह से तीन सौ से पांच सौ तक कोरोना पाजिटिव मरीज आ रहे हैं। महेंद्रगढ़ जिले में अभी तक गंभीर मरीजों की संख्या कम थी, लेकिन वर्तमान में आक्सीजन आवश्यकता वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। नारनौल के नागरिक अस्पताल की आइसीयू में सात मरीज आक्सीजन पर हैं। पटिकरा में 13 मरीज आक्सीजन पर हैं। इनके अलावा नारनौल के एक निजी अस्पताल में 23 मरीज आक्सीजन पर हैं। इसी तरह शहर के अन्य कई निजी अस्पतालों में भी लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। चिकित्सक भी भारी धर्म संकट का सामना कर रहे हैं। यदि वे मरीजों को दाखिल न करें तो चिकित्सीय धर्म हारते हैं और दाखिल करते हैं तो उनके पास आक्सीजन व वेंटिलेटर का अभाव है। हालात यह हैं कि मरीज के परिवार वालों को समझ नहीं आ रहा है कि जाएं तो कहां जाएं और करें तो क्या करें।

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मंगवाए थे तीन सौ, आए पांच रेमडेसिविर

जिले में कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहले पचास और बाद में तीन रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड की थी। लेकिन फिलहाल केवल पांच इंजेक्शन ही स्वास्थ्य विभाग को मिल पाए हैं। वैसे भी गंभीर मरीज को छह इंजेक्शन लगाने होते हैं। देखने वाली बात यह होगी कि इन पांच इंजेक्शन से किस मरीज की जान बच पाएगी।

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जिले में एक टन (100 सिलेंडर)आक्सीजन का कोटा है और आवश्यकता तीन टन की है। इस कारण आक्सीजन की कमी बनी हुई है। हमने सरकार को तीन टन आक्सीजन के लिए लिखा हुआ है। जल्द ही उम्मीद है कि तीन टन आक्सीजन मिलने लगेगी।

--अजय कुमार,

उपायुक्त,

महेंद्रगढ़ एट नारनौल।


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