पूतना उद्धार एवं बकासुर वध का सुनाया वृतांत
पूतना उद्धार एवं बकासुर वध का सुनाया वृतांत
पूतना उद्धार एवं बकासुर वध का सुनाया वृतांत
जागरण संवाददाता, नारनौल: व्यास पीठाधीश्वर लक्ष्मण दास महाराज ने बृहस्पतिवार को श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कहा कि निराकार के स्थान पर साकार की पूजा सार्थक फलदायी होती है। गाय, गंगा और गायत्री सनातन संस्कृति के आधार हैं। जिनका अनुसरण व्यक्ति के जीवन को पूर्णता प्रदान करता है। श्रीमद्भागवत कथा में पूतना उद्धार एवं बकासुर वध का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की जन्म व बाल लीलाओं का मार्मिक वर्णन किया। नग्न स्नान को अशुभ बताते हुए उन्होंने बताया कि गोपियों को सबक सिखाने के लिए उन्होंने यमुना किनारे वस्त्र चोरी की लीला रची व कालिया मर्दन को सांस्कृतिक कुरीति समाप्त करने वाले भगवान के संदेश से श्रोताओं को अभिभूत किया। उन्होंने कहा कि कंस, पूतना और बकासुर को मारने के लिए तो वे किसी को भी भेज सकते थे, लेकिन स्वर्ग के देवता रूपी ब्रज की गोपियों के साथ रचाए गए महारास में सम्मिलित होने के लिए भगवान शिव को भी गोपी रूप धारण करना पड़ा था। देवराज इंद्र का अभिमान तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाकर निराकार के स्थान पर साकार की पूजा का शुभारंभ कराया।
कथा व्यास देवेश कृष्ण शास्त्री ने गोवर्धन लीला का वृत्तांत प्रस्तुत किया। कथा व्यास में कान्हा द्वारा ब्रज की बाला से होली खेलने का सुंदर वर्णन भी किया गया। उन्होंने बताया कि संत वेदों के ह्रदय हैं और महापुरुष के मुखारविंद से कथा श्रवण करने से पापों का क्षय और पुण्य का उदय होता है। मुख्य यजमान नितिन चौधरी ने बताया कि गोवर्धन पर्वत की झांकी निकालने के उपलक्ष्य में अन्नकूट प्रसाद का वितरण किया गया।