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पटाखों पर खर्च की जाने वाली राशि को सरकारी स्कूल के छोटे बच्चों की मदद पर करें खर्च

ग्रामीण क्षेत्रों में दीपों का त्योहार दीवाली मनाने के अपने अलग ही ढंग हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 07:52 PM (IST)
पटाखों पर खर्च की जाने वाली राशि को सरकारी स्कूल के छोटे बच्चों की मदद पर करें खर्च

संस,कनीना: ग्रामीण क्षेत्रों में दीपों का त्योहार दीवाली मनाने के अपने अलग ही ढंग हैं। ग्रामीण पटाखों से दूर रहना चाहते हैं प्रदूषण से बचने की बात भी कहते हैं। कुछ लोग पटाखों पर खर्च होने वाली राशि को जनहित में खर्च करना चाहते हैं। पूर्व मुख्य शिक्षक एवं अध्यापक नेता कंवरसेन वशिष्ठ का कहना है कि वे दीवाली के दिन प्रदूषण नहीं करेंगे। पटाखे स्वयं नहीं चलाएंगे और पटाखे न चलाने की प्रेरणा देंगे। उन्होंने बताया कि वे इस बार पटाखों पर खर्च की जाने वाली राशि को सरकारी स्कूल के छोटे बच्चों पर खर्च कर उन्हें कापी, किताब, पेंसिल एवं पेन देकर उन पर खर्च करेंगे। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ेगा और प्रदूषण भी कम होगा। कनीना के वृक्षमित्र राजेंद्र सिंह का कहना है कि वे न तो पटाखे चलाएंगे और न अपने साथियों को चलाने देंगे। वे प्रदूषण के विरुद्ध है। दीवाली के पर्व पर सांस लेना दूभर हो जाता है। ऐसे में प्रदूषण नहीं करने देंगे। उन्होंने बताया कि वे इस बार पटाखों पर खर्च होने वाली राशि को पेड़ पौधों पर खर्च करेंगे साथ में उससे प्राप्त अन्न से जंगली पक्षियों एवं जीवों की सुरक्षा पर खर्च करेंगे। आने वाली गर्मियों में जंगली जीवों के लिए अन्न एवं जल का प्रबंध करेंगे। कनीना मंडी की कमला देवी का कहना है कि वे प्रदूषण को रोकने के लिए सार्थक प्रयास करेंगी। वे पटाखों पर खर्च होने वाली राशि को गायों के लिए दान देंगी। इससे पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर भी काबू पाया जाएगा वहीं पटाखों की राशि गायों की सेवा में लग जाएगी। उन्होंने दूसरी महिलाओं से भी कम से कम प्रदूषण करने की प्रार्थना की है। उनका मानना है कि दीपावली के दिन पटाखों के प्रदूषण से जीना मुहाल हो जाता है।पूर्व शिक्षक एवं वृक्षमित्र रवींद्र कुमार ने इस बार ही नहीं वरन कई वर्षों से पटाखों का प्रदूषण रोकने का संकल्प ले रखा है। उन्होंने बताया कि पटाखों पर खर्च होने वाली राशि से फल एवं फूलदार पेड़ एवं पौधे खरीदकर अपने प्लाट में लगाकर प्रदूषण को रोकेंगे। उन्होंने कहा कि पटाखे चलाना अनुचित है जिससे प्रदूषण होता है और सांस लेना भी कठिन हो जाता है।

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