विभाग के आदेशों में अटका छात्रों के दूध का स्वाद
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : स्कूली बच्चों को मिड-डे-मील में मिलने वाले दूध का इंतजार बढ़ता
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : स्कूली बच्चों को मिड-डे-मील में मिलने वाले दूध का इंतजार बढ़ता जा रहा है। हालांकि सभी स्कूलों में दूध भी महीने के शुरुआत में ही पहुंच चुका। बर्तनों की राशि भी मिल चुकी, लेकिन शिक्षा अधिकारियों से बर्तन खरीदने व दूध पिलाने के आदेश नही मिलने पर संस्था प्रधान भी असमंजस में है। इससे किसी भी संस्था प्रमुख द्वारा अभी न तो बर्तन खरीदे जा रहे हैं और न ही दूध पिलाने की पहल शुरू की जा रही है। जबकि सरकार की योजना के तहत बच्चों को मई महीने के शुरुआत से ही दूध पिलाया जाना था। शिक्षा अधिकारियों द्वारा अभी कोई आवश्यक दिशा-निर्देश नही मिलने पर स्कूलों में पहुंचने पर भी बच्चों को दूध का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
गौरतलब है कि शिक्षा विभाग कि ओर से प्राइमरी और मिडिल स्तर तक के बच्चों के निश्शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। बच्चों के लिए स्टेशनरी से लेकर किताबें, वर्दी, वजीफा सहित दोपहर के भोजन की व्यवस्था है। अकेले नांगल चौधरी में ही करीब 103 प्राइमरी स्कूलों व 26 मिडिल स्कूलों में अध्यनरत बच्चों को इसका लाभ मिल रहा है। सरकार की योजना के तहत स्कूली बच्चे को मिड-डे-मील के साथ प्रति छात्र दो सौ एमएल दूध भी पिलाया जाना है। जो एक मई से ही शुरू होना था। इसके लिए फ्लेवर्ड दूध को लिक्विड बनाए जाने से लेकर पिलाए जाने तक बर्तन खरीदे जाने थे। बर्तनों के प्रति छात्र के हिसाब से राशि भी तय हुई। राशि स्कूलों में भेजी भी गई, लेकिन बावजूद इसके योजना का लाभ विभाग के दिशा निर्देशों में ही उलझ कर रह गया। विभाग के आदेशों के बिना न तो कोई संस्था प्रधान बर्तन खरीदने को ही तैयार है और न ही बच्चों को दूध पिलाने के लिए। इससे स्कूली बच्चों को मिलने वाले दूध के जायके का इंतजार बढ़ता जा रहा है।
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वर्जन :::
बर्तन खरीदने की हिदायतें अभी उनके पास नहीं आई है। फिर भी उन्होंने सभी संस्था प्रधानों को बच्चों को दूध पिलाने के लिए आवश्यक निर्देश दे दिए हैं।
--सुनीलदत बीइओ, नंगल चौधरी।