युवाओं में जगा रहे कला और संस्कृति की अलख
कला और संस्कृति के क्षेत्र में संविधान में प्रदत्त अधिकारों को बढ़ावा देने के साथ युवाओं में जगा रहे कला और संस्कृति के प्रति रुझान।
ज्ञान प्रसाद, नारनौल:
कला और संस्कृति के क्षेत्र में संविधान में प्रदत्त अधिकारों को बढ़ावा कैसे दिया जाए इसका बखूबी पालन करने वालों की भी कमी नहीं है। इसके लिए स्वयं समाज के लिए उदाहरण बनकर दूसरों को प्रेरित किया जा सकता है। महेंद्रगढ़ शहर निवासी नीरज तिवाड़ी इसी प्रकार की कला और संस्कृति में अपनी उपलब्धियों और गतिविधियों से युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं। वे कला और सांस्कृतिक क्षेत्र के साथ हर वर्ष आयोजित होने वाले रामलीला में पिछले दस साल से विभिन्न किरदार निभाते हुए सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। छात्र जीवन में भी उन्होंने सांस्कृतिक गीत, नृत्य और अभिनय के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं। इसके लिए राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीत चुके हैं। नीरज का कहना है कि उन्होंने अपनी सांस्कृतिक यात्रा में कभी पश्चिमी संस्कृति का प्रदर्शन नहीं किया। उनका मानना है कि भारतीय संस्कृति में ही विविधता में एकता की भावना भरी हुई है। हर राज्य की अपनी संस्कृति हमें अनेकता में एकता का संदेश देती है। हरियाणवी कला और संस्कृति को उन्होंने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से टाटानगर, असम, पटना, उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में हरियाणवी कला और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाया है। उनके नाम खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग की ओर से आयोजित होने वाले राष्ट्रीय युवा महोत्सव में नाटक में बेहतर अभिनय के लिए कई पदक जीते हैं। इसके अलावा सामना ग्रुप की ओर से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में जन चेतना रैली के संयोजन के माध्यम से समाज के प्रति दायित्व निभाने का प्रयास किया। रामलीला में लक्ष्मण व अन्य पात्रों की भूमिका निभाते रहने से धार्मिक आस्था बढ़ती गई। पिछले दस साल से रामलीला में विभिन्न किरदार निभा रहे हैं। अभी हरियाणवी कला और संस्कृति पर आधारित युवा एवं कार्यक्रम निदेशक अनिल कौशिक निर्देशन में बन रही टेली फिल्म में काम कर रहे हैं। वर्तमान में नीरज सतनाली स्थित यदुवंशी स्कूल में सांस्कृतिक और अन्य आयोजन प्रबंधन का प्रभार संभाल रहे हैं।