सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शारीरिक शिक्षकों के सामने छाया अंधेरा
वर्ष 2010 बैच के पीटीआइ शिक्षकों के हटाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से क्षेत्र के शारीरिक शिक्षकों के सामने अंधेरा छा गया है।
संवाद सहयोगी, सतनाली : वर्ष 2010 बैच के पीटीआइ शिक्षकों के हटाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से क्षेत्र के शारीरिक शिक्षकों के सामने अंधेरा छा गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद रोहतक में एक शारीरिक शिक्षक की ब्रेन हेमरेज से मौत के बाद क्षेत्र के शारीरिक शिक्षकों में भारी तनाव देखा जा रहा है। वर्ष 2010 में चयनित पीटीआइ शिक्षक बबिता जो अब पदोन्नत होकर डीपीई बनी हुई हैं, उन्होंने इस निर्णय को काफी निराशाजनक बताया। दस साल की नौकरी छीनने के इस निर्णय से तनावग्रस्त बबिता ने बताया कि उनके सामने भविष्य को लेकर अब अंधेरा छा गया है। दो बच्चों की इस माता के रोजगार पर ही उसकी सास समेत पूरे परिवार की रोजी-रोटी चल रही थी। इस निर्णय ने उनकी आर्थिक स्थिति के साथ-साथ सामाजिक स्थिति को भी छिन्न-भिन्न कर डाला है। वे पूरी मेरिट से लगी थी, इसमें उनका क्या दोष है। उन्हें अब कुछ समझ नहीं आ रहा कि उनका भविष्य क्या होगा। उन्होंने बताया कि सतनाली क्षेत्र सहित जिले में करीब दो दर्जन के आसपास शारीरिक शिक्षक हैं जो इस निर्णय से प्रभावित होंगे। दस साल के इस रोजगार को छीने जाने से उनके परिवार के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो आया है। वहीं इस बारे में विभिन्न कर्मचारी यूनियनों ने भी एकजुटता दिखाई है तथा मामले में समाज कल्याण राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव को गत दिवस ज्ञापन सौंपकर सरकार से पीटीआइ शिक्षकों का रोजगार बचाने की गुहार लगाई है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह मामले की सहानुभूतिपूर्वक पुन: जांच करें और इस संबंध में जो भी कानूनी प्रक्रिया हो सकती हो उसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में अपील करे। यदि आवश्यक हो तो हरियाणा सरकार अपनी विधायिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन पीटीआइ साथियों की सेवा सुरक्षित रखना सुनिश्चित करे क्योंकि अतीत में भी एवं वर्तमान सरकार भी कर्मचारी हित में अपनी विधायिक शक्तियों का प्रयोग करती रही है।