ओलंपिक की तैयारी में जुटे हैं एशियन पदक विजेता
हौसलों में जान हो तो किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहेंगे। जिला खेल विभाग में एथलेटिक टेकचंद इसके मिसाल हैं।
ज्ञान प्रसाद, नारनौल: हौसलों में जान हो तो किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहेंगे। जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग में पैरा एथलेटिक के पद पर कार्यरत प्रशिक्षक टेकचंद इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में धाक जमाई है। रेवाड़ी जिला के बावल निवासी टेकचंद आगामी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं। पदक जीतने के लिए वे आज भी 12 से 15 घंटे तक जमकर अभ्यास कर रहे हैं। वे शॉटपुट और जेवलिन थ्रो का अभ्यास कर रहे हैं। इसके साथ वे 8 खिलाड़ियों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। तीन अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में से दो में जीते हैं पदक:
टेकचंद अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्यस्तरीय स्तर के विभिन्न स्पर्धाओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं लेकिन आधिकारिक बात की जाए तो तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए पदक जीतने के साथ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। इंडोनेशिया के जकार्ता में 6-13 अक्टूबर 2018 को संपन्न पैरा एशियन गेम्स के शॉटपुट स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर परचम लहराया। इससे पहले ट्यूनिशिया में 18 से 25 जून तक आयोजित पैरा एथलेटिक ग्रांड प्रिक्स में रजत पदक जीता है। पिछले साल 7-15 नवंबर तक दुबई में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में विश्व में छठे स्थान पर रहे थे। इन्हीं उपलब्धियों में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर ओलंपिक के लिए क्वालिफाई हुए हैं। राष्ट्रीयस्तर पर भी कम नहीं हैं उपलब्धियां:
टेकचंद की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में उपलब्धियां बेहतरीन रही हैं। 25-29 मार्च 2018 को पंचकुला में संपन्न नेशनल पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में शॉटपुट और जेवलिग थ्रो में स्वर्ण पदक जीते। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। बैंगलुरू में 10-12 जुलाई 2018 को आयोजित ओपन नेशनल चैंपियनशिप में भी दोनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता। फरीदाबाद में 24 फरवरी 2018 को संपन्न स्टेट पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में शॉटपुट और जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीते। पिछले साल फरीदाबाद में 8-10 मार्च को संपन्न पैरा स्टेट एथलेटिक चैंपियनशिप के शॉटपुट में स्वर्ण पदक तो डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक हासिल किया।
गुरु ने दिखाई राह तो अधिकारियों का मिला साथ :
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी टेकचंद कहते हैं कि उनके गुरु भीम अवार्डी एवं एथलेटिक प्रशिक्षक सतबीर सिंह ने जहां खेल तकनीक और आत्मबल को मजबूती देते हुए खेलना सिखाया वहीं माता पिता के आशीर्वाद और खेल विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन से हौसला बढ़ता गया। जिला खेल अधिकारी ज्योति रानी कहती हैं कि टेकचंद में जीत की ललक है इसलिए विभागीय और व्यक्तिगत स्तर पर हर संभव सहयोग कर रहे हैं।