आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित जनसुविधा बनी दुविधा
कनीना के पूर्व एसडीएम संदीप सिंह द्वारा कनीना में जहां ई-टायलेट फ्रेंडली टायलेट इको फ्रेंडली टायलेट आदि कई नामों से जन सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रयास किया कितु पशु अस्पताल तहसील कार्यालय उप नागरिक अस्पताल के पास स्थित लाखों रुपये की लगाई गई जन सुविधा लोगों के लिए दुविधा बन रही हैं।
होशियार सिंह, कनीना: कनीना के पूर्व एसडीएम संदीप सिंह द्वारा कनीना में जहां ई-टायलेट, फ्रेंडली टायलेट, इको फ्रेंडली टायलेट आदि कई नामों से जन सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रयास किया, कितु पशु अस्पताल, तहसील कार्यालय, उप नागरिक अस्पताल के पास स्थित लाखों रुपये की लगाई गई जन सुविधा लोगों के लिए दुविधा बन रही हैं। तीनों टायलेट काम नहीं कर रही हैं। इससे पहले पशु अस्पताल के द्वार के पास जहां जन सुविधा बनी हुई थीं, वहीं पशुओं के पीने के लिए पानी की सुविधा भी थी। वे दोनों हटाकर जहां आधुनिक ई-टायलेट स्थापित की गई थी। जब से ई-टायलेट स्थापित की गई, तभी से बेकार पड़ी हैं। पूर्णतया स्वचालित जनसुविधा, जहां अनेकों विशेषताओं से परिपूर्ण थी, कितु अब अनेकों खामियों से परिपूर्ण बन गई हैं।
जब ये टायलेट स्थापित की गई उस वक्त माना जा रहा था कि लोगों को बड़ी सुविधा मिलेगी। पशु अस्पताल में पुराने वक्त की स्थापित जन-सुविधा को तोड़ दिया गया था, वहीं पशुओं के लिए पानी के लिए खेल बनाई गई थी वह भी हटा दी गई थी। यह पूर्ण स्वचालित टायलेट इंसान के प्रवेश करने पर अपने आप बंद हो जाती थी और दूसरा व्यक्ति उसमें प्रवेश नहीं कर सकता था। इंसान जब इसका उपयोग कर लेता था, तब सेंसर से पानी अपने आप चलता था, कितु वर्तमान में बेकार पड़ी है। डा अजीत कुमार का कहना है कि कभी यहां पुराने समय की जनसुविधा थी जो लोगों के काम आ रही थी। उसको तोड़कर यह आधुनिक दर्जे की जनसुविधा बना तो दी कितु काम ही नहीं कर रही है। उधर महेंद्र, दिनेश, रवि कुमार दुकानदार का कहना है कि जन सुविधा के नाम पर परेशानी मिल रही है। लघु शंका के लिए भी उन्हें बहुत दूर जाना पड़ता है। जहां दुकान का काम छोड़कर दूर जाने से दुकानदारी भी खराब हो जाती है। उन्होंने नगर पालिका से मांग की है कि इसे तुरंत चालू करवाया जाए, ताकि लोगों को सुविधा प्राप्त हो सके। वर्तमान में पशु अस्पताल, उप नागरिक अस्पताल तथा तहसील कार्यालय में बनाई हुई टायलेट बेकार पड़ी हैं।
नगर पालिका प्रधान सतीश जेलदार से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि ई-टायलेट बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों को बुलाया गया था, जिन्होंने पांच हजार रुपये प्रति माह रख रखाव का खर्चा देने की बात कही है। पालिका ने यह स्वीकार कर लिया है। ऐसे में दीपावली तक ये तीनों ई-टायलेट शुरू होने की पूरी संभावना है।