खंडहर भवन गिरने की कगार पर, नप कर रही अनदेखी
राजकुमार, नारनौल : मानसून की बरसात के दौरान देश के कोने-कोने से खंडहर इमारतें भ
राजकुमार, नारनौल : मानसून की बरसात के दौरान देश के कोने-कोने से खंडहर इमारतें भरभराकर गिरने के कारण जान-माल के लिए खतरा सिद्ध हो चुकी हैं, लेकिन नगर परिषद नारनौल एवं जिला प्रशासन इन हादसों से कोई सबक लेते नजर नहीं आ रहे। यही वजह है कि दशकों से नगर परिषद जहां पुराने खंडहर भवन के मालिकों को नोटिस थमाने तक सीमित है, वहीं अब तक वह बेनामी खंडहर हवेलियों को रामभरोसे ही छोड़ा हुआ है।
नारनौल शहर ऐतिहासिक इमारतों का शहर है। इस शहर में अनेक प्राचीन ऐतिहासिक इमारतें आज भी मौजूद हैं, लेकिन ये उचित देखरेख के अभाव में खंडहर हो चुकी हैं और इनके कभी भी गिरने का खतरा सदैव बना रहता है। पिछले कई दशकों से बरसात या भूकंप के दौरान अनेक बार गिरी भी हैं। हाल ही में नोएडा, गाजियाबाद एवं दिल्ली में गिरी इमारतें इसका ताजा उदाहरण भी हैं, लेकिन कमाल की बात यह है कि जर्जर हो चुकी ऐसी इमारतों को गिराने की नगर परिषद एवं जिला प्रशासन के पास कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। शहर में अनेक ऐसी इमारते हैं, जो गिरने की कगार पर हैं। एक पखवाड़ा पहले जब इलाके में जबरदस्त मानसून सक्रिय हुआ था, तब भी लोगों के जान-माल को हानि होने का इनसे पूरा खतरा था। इस बरसात में पुरानी मंडी में एक पुरानी इमारत तो गिर भी गई थी। नारनौल की अस्पताल चौकी में भी प्लास्टर गिरा था। इसी प्रकार कनीना थाने में भी ऐसा ही हादसा हुआ था। बारिश के कारण वहां के छज्जे का प्लास्टर गिर गया था। हालांकि कोई बड़ा जान-माल का नुकसान तो नहीं, लेकिन ये पुराने जर्जर एवं खंडहर भवन आमजन के लिए खतरा जरूर बने हुए हैं। पिछले साल भी मुख्य बाजार किलारोड पर एक हवेली की दीवारें गिर गई थी। चांदुवाड़ा में भी एक हवेली का कुछ हिस्सा गिर गया था।
नगर परिषद नारनौल ने शहर में बनी खंडहर इमारतों की सूची भी बना रखी है। इस सूची के अनुसार नगर में 33 ऐसे पुराने जर्जर भवन हैं, जो गिरने की कगार पर हैं।
ये हैं लिस्ट में शामिल :
पुरानी जर्जर इमारतों में नानक राम मोहल्ला नलापुर, हरगो¨बद नलापुर, चिम्मन लाल खड़खड़ी, रतनालाल नलापुर, हर राम नलापुर, रामानंद नलापुर, उप जिला शिक्षा अधिकारी मिश्रवाड़ा, महल अनुसूचित जाति गुवाडी मिश्रावाड़ा, श्याम सुंदर मिश्रावाड़ा, सुभाष चंद मिश्रवाड़ा, रमेश चंद मिश्रवाड़ा, ओमप्रकाश मिश्रवाड़ा, भारत कुमार मिश्रवाड़ा, केदारनाथ शर्मा मिश्रवाड़ा, मोहनलाल मिश्रवाड़ा, मुफ्तलाल मिश्रवाड़ा, दुलीचंद मिश्रवाड़ा, रमेश चंद मिश्रवाड़ा, घनश्याम मिश्रवाड़ा, फलाराम मिश्रवाड़ा, पप्पू आजाद चौक, हरीकिशन आजाद चौक, दिनेश कुमार आजाद चौक, उमेश कुमार आजाद, ओमप्रकाश आजाद चौक, हनुमान आजाद चौक, कालीचरण आजाद चौक, राजेंद्र आजाद चौक, शिव कुमार आजाद चौक, मदनलाल दिल्ली दरवाजा, कैलाश शर्मा पुरानी मंडी व राजेश पुरानी सराय आदि शामिल हैं।
कई भवनों के मालिकों का नहीं पता :
शहर में खड़ी जर्जर इमारतों में से कई इमारतें ऐसी हैं, जिनके मालिकों का नगर परिषद को ही कोई अता-पता नहीं है। ऐसे भवनों को गिराने के लिए वर्षो से कानूनी राय लेकर इन्हें गिराने की बातें कही जाती रही हैं, लेकिन दशकों से ये खड़ी हैं और अनेक बार इनका कुछ हिस्सा गिरता रहता है। जिन खंडहर भवनों के मालिकों की जानकारी है, नप उन्हें केवल नोटिस जारी करने तक सीमित रहती है। छह माह पहले भी नोटिस जारी किए थे, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम निकलकर सामने नहीं आया।
पुरानी कचहरी में चल रहा रिकार्ड रूम :
पुरानी कचहरी उजड़े बरसों बीत चुके हैं, लेकिन इसमें पुराने एवं अति जर्जर भवन में आज भी डीसी के अधीन पुराना रिकार्ड रूम चल रहा है। इसमें आजादी से पहले तक का रिकार्ड रखा हुआ है और रोजाना कर्मचारी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी देते हैं। आम पब्लिक भी यहां जरूरत पड़ने पर आती रहती है। जबकि यह भवन अत्यधिक खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है।
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''पुराने खंडहर भवनों को गिराने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। अगर कोई कंडम घोषित इमारतों को नहीं गिराता है तो नगर परिषद ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही करेगी और जान-माल की हानि होने पर उनसे भरपाई कराएगी। बिना मालिक वाले जर्जर भवनों को गिराने की भी नगर परिषद की योजना है।
- भीम ¨सह, भवन निरीक्षक, नगर परिषद, नारनौल।