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अहंकार का टकराव, नहीं हुए विकास कार्य

नगरपालिका महेंद्रगढ़ का कार्यालय पार्षदों में अहंकार का टकराव विवादों का अड्डा बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 05:58 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 05:58 PM (IST)
अहंकार का टकराव, नहीं हुए विकास कार्य

नगरपालिका महेंद्रगढ़ का कार्यालय पार्षदों में अहंकार का टकराव विवादों का अड्डा बना रहा। प्रधान के खिलाफ नित नए मामले दर्ज होना, एक दूसरे की शिकायतें करने में उलझे रहने के कारण शहर विकास के मामले में पूरी तरह पिछड़ गया है। चार वर्षों के दौरान विकास के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगना इसका प्रमाण है। पार्षदों की गुटबाजी का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। सोमवार को होने वाली बजट बैठक भी हंगामे की भेंट चढ़ने की संभावना है। विरोधी पार्षदों से शहर की बदहाल स्थिति को देखते हुए एक साल बाद होने वाले चुनाव में किस मुद्दे पर जनता के पास जाएंगे यह भी विचारणीय है।

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प्रधान की नीतियों पर लगा रहे हैं आरोप:

सात जुलाई 2016 को कमेटी का गठन होने के बाद प्रधान रीना बंटी द्वारा बुलाई गई बैठक में चार पार्षदों के अलावा कोई पार्षद नहीं पहुंचा लेकिन विरोधी पार्षद विकास न होने में उनका हाथ होने के बात स्वीकार नहीं करते। प्रधान एवं पार्षद अपनी गलती स्वीकार करें या न करें लेकिन शहर की बदहाल स्थिति पार्षदों की मनोस्थिति बयान कर रही हैं। चार वर्षों में भाजपा का शासन होने एवं भाजपा समर्थित प्रधान बनने पर लोगों में उम्मीद जगी थी कि स्थानीय विधायक एवं शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ग्रांट प्रदान करेंगे। प्रधान एवं पार्षद मिलकर शहर का विकास करके शहर की दशा एवं सूरत बदलने का कार्य करने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो पार्षदों में पहली बैठक से ही विरोध आरंभ हो गया।

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मेरा व्यक्तिगत विरोध प्रधान से नहीं उनकी कार्यशैली से है। दो वर्ष से तो वे उन्हें बैठकों में बुला ही नहीं रही। प्रधान के निर्वाचित होने के बाद पहली ही बैठक में पार्षदों के नहीं पहुंचने के बारे में उन्होंने रक्षाबंधन के कारण बैठक की तारीख टालने का आग्रह किया था लेकिन प्रधान ने उनकी एक न सुनी। प्रधान अपनी गलतियां छिपाने के लिए दोषारोपण कर रही हैं। सोमवार को होने वाली बजट बैठक का भी उन्हें पत्र मिला है लेकिन उसमें बजट की कॉपी न होने के कारण चर्चा कैसे हो पाएगी। फिर भी वे बैठक में हिस्सा जरूर लूंगा।

--अमित मिश्रा, पार्षद।

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मैं डेढ़ वर्ष तक प्रधान के हर सही प्रस्ताव का समर्थन कर रहा था लेकिन प्रधान का ध्यान विकास की ओर न होकर के स्वयं के विकास की ओर होने के कारण प्रधान का विरोध करना आरंभ किया है। शहर का विकास हम भी चाहते हैं।

--डॉ. तरुण यादव, पार्षद।

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मेरा प्रधान से कोई व्यक्तिगत विरोध नही है। उनकी नीतियों का विरोध है। प्रधान ने गलत कार्यों में सहयोग नहीं दे सकते। गलत कार्यों का विरोध करना मेरा अधिकार है। नियमानुसार कार्य करेंगे तो मैं उनका साथ देने को तैयार हूं। जनता के बीच भी सच्चाई के साथ जाएंगे।

--नरेंद्र खन्ना, पार्षद।


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