नेताजी के मददगार थे नारनौल के लाला शंकरलाल संघी
नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा देश की आजादी के लिए किए गए संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके इस संघर्ष में नारनौल के लाला शंकरलाल संघी बड़े मददगार रहे हैं।
बलवान शर्मा, नारनौल :
नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा देश की आजादी के लिए किए गए संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके इस संघर्ष में नारनौल के लाला शंकरलाल संघी बड़े मददगार रहे हैं। इसका उल्लेख गोपाल शरण गर्ग ने लाला शंकरलाल संघी की दत्तक पुत्री लीला द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी और फोटो के आधार पर लिखी गई पुस्तक में किया है। गर्ग बताते हैं कि नेताजी शंकरलाल संघी के साथ नारनौल की पांच चौक की हवेली में आकर ठहरे थे। पुस्तक के अनुसार लाला ने नेताजी के साथ कार्य करते हुए देश की आजादी में बड़ा योगदान दिया है।
लाला शंकरलाल का जन्म 1885 में हुआ था। उनके पिता हीरालाल पटियाला में सरकारी अधिकारी थे। हीरालाल के दो पुत्र विशनस्वरूप और शंकरलाल थे। लाला शंकरलाल के दादा झज्जर नवाब के दीवान थे। 1857 के गदर में झज्जर के नवाब के साथ उनको भी फांसी की सजा हुई थी। पटियाला के महाराज भूपेंद्र सिंह ने लाला शंकरलाल को गिरफ्तार करवा लिया। वे 1908 से1913 तक पटियाला जेल में रहे। 1914 में कांग्रेस महासभा के लखनऊ अधिवेशन में शामिल हुए। 1917 में अखिल भारतीय अधिवेशन की कमेटी में दिल्ली के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए। 1918 में कांग्रेस महासभा के विशेष अधिवेशन का प्रबंध किया। 1938 में लाला शंकरलाल कोलकता गए और सुभाषचंद्र बोस से मिले। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने कांग्रेस में गरम विचारधारा वालों का एक संगठन बनाने की फैसला किया। सन 1939 में कोलकता में एक मीटिग हुई, जिसमें सुभाष चंद्र बोस ने फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की। जून 1939 में बंबई में नेताजी को विधिवत अध्यक्ष चुना गया। इसमें उपाध्यक्ष सरदूल सिंह कविश्वर व महासचिव लाला शंकरलाल संघी चुने गए। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने दूसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की तो उनके चुनाव अभियान का संचालन लाला शंकरलाल संघी ने किया था। पुस्तक में लिखा है कि रामगढ़ अधिवेशन के अवसर पर सुभाष बोस ने शंकरलाल को कहा कि वह रुस जाना चाहते हैं और चीन होकर एक ही रास्ता है। उन्होंने बंगाल की मिनिस्ट्री को 1939 में चीन जाने के लिए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, परंतु बंगाल सरकार ने इंकार कर दिया। इस पर शंकरलाल संघी के दोस्त लक्ष्मण प्रसाद शर्मा ने नेताजी का पासपोर्ट बनवाने में मदद की।
दैनिक जागरण से बातचीत में गोपाल शरण गर्ग ने कहा कि लाला शंकरलाल की दत्तक पुत्री लीला के पास नेताजी व लाला शंकरलाल संघी के फोटो थे। लीला ने बताया था कि नेताजी नारनौल आए थे और खेतड़ी भी गए थे। नारनौल में पांच चौक की हवेली (खिरनी वाली हवेली) में रुके थे। खेतड़ी व पाटन के महाराज राष्ट्रभक्त राजा थे और उनसे देश की आजादी को लेकर मंथन किया गया था। वरिष्ठ नागरिक गोविद भारद्वाज के अनुसार यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि लाला शंकरलाल संघी हमारे पड़ोसी थे। हमने भी बुजुर्गों से सुना है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस नारनौल आए थे।