सोशल साइट्स प्रत्याशियों के प्रचार का अहम जरिया
संवाद सहयोगी, कनीना : नगरपालिका के चुनावों में भाग्य आजमा रहे दावेदारों के लिए सोशल
संवाद सहयोगी, कनीना :
नगरपालिका के चुनावों में भाग्य आजमा रहे दावेदारों के लिए सोशल मीडिया प्रचार का अहम माध्यम बना हुआ है। सोशल मीडिया के जरिए प्रचार के आगे पोस्टर व बैनर गौण हैं। प्रत्याशी या तो सोशल साइट्स या फिर घर-घर जाकर सीधे संपर्क पर ही जोर दे रहे हैं।
जिले की अटेली व कनीना नगरपालिका के चुनाव आगामी 13 मई को होना प्रस्तावित हैं। चुनाव में नाम वापसी की प्रक्रिया के बाद से ही सोशल वाट्सएप एवं फेसबुक आदि पर विभिन्न प्रत्याशियों के प्रचार की भरमार है। प्रत्याशी अपने अपने बैनर की फोटो वाट्सएप एवं फेसबुक पर लगाकर वोट मांग रहे हैं। कनीना में इस बार दो पूर्व प्रधान भी भाग्य आजमा रहे हैं। दो महिलाएं शारदा और संतोष चुनाव नहीं लड़ रही है, मा. दिलीप ¨सह तथा राजेंद्र ¨सह लोधी चुनाव मैदान में हैं। कई पूर्व पार्षद भी मैदान में उतरे हुए हैं। खास बात ये कि प्रत्याशी के स्वयं के अलावा उनके परिवार के सदस्य भी वाट्सएप, फेसबुक आदि के जरिए प्रचार कर रहे हैं। अपने प्रत्याशी को वोट देने की अपील कर रहे हैं। कनीना पालिका के चुनाव में जहां 45 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है वही सबसे अधिक प्रत्याशी वार्ड नौ में छह प्रत्याशी हैं। यहां 13 वार्ड हैं। कुल प्रत्याशियों में से 20 प्रत्याशी युवा हैं।
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पालिका में हैं 8700 वोटर
वार्ड पुरुष मतदाता महिला मतदाता कुल
1 322 301 623
2 509 449 958
3 421 399 820
4 326 287 613
5 362 311 673
6 364 325 689
7 299 236 535
8 332 301 633
9 319 289 608
10 344 344 688
11 257 265 522
12 347 339 686
13 347 305 652
4549 4151 8700
वार्ड दो में सबसे अधिक मतदाता 958 हैं जबकि सबसे कम मतदाता वार्ड 11 में 522 हैं। महिलाओं के लिए आरक्षित रखे गए किसी भी वार्ड में महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या से अधिक नहीं है।
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कनीना पालिका छह मई 1954 में अस्तित्व में आई ¨कतु इससे पूर्व भी कनीना स्माल टाउन कमेटी(एसटीसी) का दर्जा मिला हुआ था जिसके प्रधान मेजर भवानी ¨सह होते थे। वर्ष 1977-78 में इसे नोटिफाइड एरिया कमेटी (एनएसी) का दर्जा मिला तथा 1972 के विधानसभा चुनावों के बाद तक कनीना विधानसभा क्षेत्र रहा तब तक इसे एनएसी का दर्जा ही मिला रहा। वर्ष 1987 में नगरपालिका का दर्जा मिला है। कनीना पालिका को वर्ष 2000 में भंग करने के बाद इसे पंचायत का दर्जा दे दिया था। इसके बाद आंदोलन किया गया। इस पर फिर पालिका का दर्जा दिया गया था। पालिका में वर्ष 2000 के बाद आज तक 17 वर्षो में कोई भी पुरुष प्रधान नहीं बन सका है।