किसानों ने बागवानी उत्कृष्टता केंद्र का किया भ्रमण
खंड के 55 गांवों से करीब सौ से अधिक किसानों ने सुंदराह गांव स्थित बागवानी उत्कृष्टता केंद्र का भ्रमण किया।
संवाद सहयोगी, कनीना: खंड के 55 गांवों से करीब सौ से अधिक किसानों ने सुंदराह गांव स्थित बागवानी उत्कृष्टता केंद्र का भ्रमण किया। भ्रमण का उद्देश्य कृषि बागवानी उत्कृष्टता केंद्र में किसानों को आधुनिक तकनीकों की जानकारी देना तथा फल सब्जियों की ओर रुझान बढ़ाना था। किसानों का बागवानी उत्कृष्टता केंद्र में बेहतरीन स्वागत किया गया तथा उच्च तकनीक निर्मित पाली हाउस, सब्जी उत्पादन तकनीक, वर्मी कंपोस्ट मधुमक्खी पालन, नेट हाउस आदि की विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर कृषि विस्तार अधिकारी डा. देवराज ने कहा आधुनिक समय में करीब चार माह चलने वाला मधुमक्खी पालन बेहतरीन व्यवसाय है। किसान अपने सरसों के खेतों के आसपास मधुमक्खी पालन के लिए बक्से रख सकते हैं जिन पर सरकार अनुदान देती है। इनसे शहद उत्पादन होगा और बड़ी कंपनियां इस शहद को खरीद ले जाती है। शहद बेहतरीन आय का साधन है और ज्यादा लागत नहीं आती। उन्होंने टपका सिचाई की जानकारी देते हुए बताया कि आधुनिक समय विशेषकर दक्षिण हरियाणा में पानी की कमी है जिसको बचाने के लिए ड्रिप सिचाई योजना कारगर है। इससे पानी की बचत होती है और जल की आपूर्ति होती है। सरकार इस प्रकार की योजना को बढ़ावा दे रही है। एक प्रकार के हाउसिग तापमान को बदला जा सकता है अर्थात गर्मियों में आने वाली सब्जियों को सर्दियों में उगाया जा सकता है और सर्दियों की सब्जी को गर्मियों के समय भी तैयार किया जा सकता है। इससे भाव बेहतर मिलते हैं और किसान अच्छी आय सकते हैं।
उन्होंने उच्च तकनीक युक्त पाली हाउस एवं नेट हाउस और केंचुआ खाद की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंचुआ पालन बेहतर व्यवसाय है जिस पर अधिक खर्चा नहीं आता। इसमें गोबर की जरूरत है जिसमें केंचुआ पालन किया जा सकता है और यह बेहतर दर्जे का खाद बनाता है जिससे पैदावार उगाई जा सकती है जिसे वर्मी कंपोस्टिग कहते हैं। यह खेतों के लिए स्वास्थ्यवर्धक खाद है तथा पैदावार भी अच्छी देता है। किसान इस व्यवसाय को भी अपना सकते हैं। देवराज ने महिलाओं को किचन गार्डन के प्रति जागरूक करते हुए बताया कि किचन गार्डन तैयार करके अपने घरों में अच्छी प्योद तैयार करने के अलावा फल एवं सब्जियां उत्पादन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि घर में प्योद भी तैयार की जा सकती है। एडीओ देवेंद्र, डा. अरविद, डा. विकास, डा. मनीषा यादव, महेश, सूबे सिंह कनीना, अजीत सिंह कनीना, भरत सिंह सहित अनेक प्रगतिशील किसानों ने अनुभव साझा किए।