पार्षदों के विरोध में रुके शहर के विकास कार्य
नगरपालिका प्रधान द्वारा विकास कार्यों के टेंडर आमंत्रित करने एवं 66 विकास कार्यो के प्रति विरोधी पार्षदों की सहमति न बनने पर गतिरोधा लग गया।
संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़ : नगरपालिका प्रधान द्वारा विकास कार्यों के टेंडर आमंत्रित करने एवं स्वीकृत 66 विकास कार्यों के प्रति विरोधी पार्षदों की सहमति बनने पर लोगों में खुशी हुई थी कि चार वर्षों से रुके हुए विकास कार्य आरंभ होंगे। गड्ढों में तबदील शहर के मुख्य सड़क मार्गों की हालत सुधरने की भी लोग सोच रहे थे, लेकिन विरोधी पार्षदों द्वारा टेंडरों पर आपत्ति दर्ज कर उपायुक्त के पास शिकायत करने के कारण विकास कार्यों पर ग्रहण लग गया। नपा का लगभग एक वर्ष का समय शेष है। अगर एक वर्ष के समय में भी विकास कार्य नहीं हुए तो शायद नपा महेंद्रगढ़ के इतिहास में ये पहला कार्यकाल होगा जहां पर विकास के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगी। पार्षद नगर के लोगों एवं नगर के हितों को दरकिनार करते हुए चार वर्ष से झगड़ रहे हैं तथा शह एवं मात का खेल चल रहा है। पार्षदों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त एवं उपमंडल अधिकारी द्वारा टेंडर खोलने के कार्य को स्थगित करने के आदेश देने पर नपा प्रधान रीना गर्ग ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पत्र में कहा कि उपायुक्त ने टेंडर खोलने के कार्यों को स्थगित करने का पत्र किस नियम के तहत भेजा है। इसका कोई खुलासा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उपायुक्त द्वारा शिकायतकर्ताओं की शिकायत को दरकिनार करके एक बार प्रशासकीय स्वीकृति देने के बाद अपने ही आदेश को पलटना भी उनकी समझ से बाहर है। जो पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के डबल बैंच के फैसले के विरुद्ध भी है। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता पार्षदों द्वारा लंबित द्वारा 246 के तहत उपायुक्त केवल आपातकाल, जनहानि, शांतिभंग की आशंका से ही कार्य रोक सकते हैं। जबकि अब इस तरह की कोई भी बात नहीं है। नगरपालिका द्वारा टेंडर पारित करने के बाद उसे रद करने एवं स्वीकार करने की शक्तियां केवल प्रधान के पास होती है। उच्च न्यायालय के फैसले एवं कानून अनुसार उपायुक्त प्रतिदिन या हर विकास कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सभी फैसले कानून अनुसार न लेकर राजनीतिक दबाव एवं अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए पिछले चार वर्षों से लिए जा रहे है। इसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है।