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पाठ्यक्रम से विभिन्न विषयों को न हटाने की मांग

प्रबुद्ध नागरिकों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में धर्मनिरपेक्षता संघवाद और लोकतंत्र से संबंधित सामग्री नहीं हटाने की मांग की है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 07:35 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 06:13 AM (IST)
पाठ्यक्रम से विभिन्न विषयों को न हटाने की मांग
पाठ्यक्रम से विभिन्न विषयों को न हटाने की मांग

जागरण संवाददाता, नारनौल :

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प्रबुद्ध नागरिकों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और लोकतंत्र से संबंधित सामग्री नहीं हटाने की मांग की है। इस संबंध में ऑल इंडिया सेव एजूकेशन कमेटी की ओर से उपायुक्त के माध्यम से मानव संसाधन विकासमंत्री रमेश पोखरियाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इसमें पाठ्यक्रम में की गई जरूरी विषयों की कटौती का निर्णय रद करने की मांग की। ज्ञापन में मास्टर बिजेंद्र सिंह, एडवोकेट ऋषि संघी, तेजप्रकाश, मूलचंद व सतीश कुमार ने कहा कि सीबीएसई ने स्कूली पाठ्यक्रम से धर्मनिरपेक्षता, संघीय ढांचा और लोकतंत्र संबंधी पाठों को हटाने का फैसला लेकर देश के संविधान की मूल भावना पर चोट की है। शिक्षा के पाठ्यक्रम में नागरिकता, धर्मनिरपेक्षता, संघीय लोकतंत्र ऐसे विषय है जो बच्चों को सभ्य और एक जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। ऐसे विषय देश के संविधान की मौलिक प्रस्थापनाओं में शामिल हैं। भारत जैसे विविधताओं वाले विशाल देश में जहां विभिन्न जाति धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं। वहां एक राष्ट्र के प्रति समर्पित, सहनशील जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए इन विषयों को और भी गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता है न की प्राचीन काल के कुसंस्कारों जिनके खिलाफ देश के नवजागरण के महान लोगों ने कठिन संघर्ष किया था उन्हें पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। सरकार का यह कदम तर्क और विवेक को खत्म कर देगा। ज्ञापन में मांग की गई कि सरकार जनवादी धर्मनिरपेक्ष और वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति लागू करे। कमेटी के राज्य संयोजक ओमप्रकाश ने कहा कि सरकार शिक्षा में जानबूझकर अतार्किक विषयों को घुसा रही है। आज के शासक वर्ग को तर्कशील दिमाग की जगह उन्मादी भीड़ की जरूरत है लेकिन राष्ट्रीय हित की आवश्यकता विज्ञान सम्मत धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों से लैस शिक्षा व्यवस्था की है।


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