हरी प्याज भी चली प्याज की राह पर
जहां सूखी प्याज ने लोगों को रूलाया खूब आंसू निकाले फिर भी क्षेत्र में 150 रुपए किलो तक प्याज पहुंची चुकी है। लंबे समय से प्याज के भाव कम नहीं हो रहे हैं। ऐसे में उसी राह पर आल प्याज (हरी प्याज) चल पड़ी है।
संवाद सहयोगी, कनीना : जहां सूखी प्याज ने लोगों को रुलाया, वहीं महंगाई ने खूब आंसू निकाले। फिर भी क्षेत्र में 150 रुपये किलो तक प्याज पहुंची चुकी है। लंबे समय से प्याज के भाव कम नहीं हो रहे हैं। ऐसे में उसी राह पर आल प्याज (हरी प्याज) चल पड़ी है। जहां उपभोक्ताओं ने तड़का लगाने के लिए प्याज के स्थान पर हरी प्याज प्रयोग करनी शुरू कर दी। हरी प्याज के भाव बढ़ते चले जा रहे हैं।
जब सूखी प्याज के भाव 100 रुपये किलो थे, तब हरी प्याज महज 40 रुपये किलो तक बिक रही थी। उसी से गुजारा कर रहे थे कितु बाजार में अब हरी प्याज भी नहीं आ रही है, वहीं हरी प्याज के भाव भी 80 रुपये किलो से अधिक पहुंच गए हैं। ऐसे में हरी प्याज खरीद पाना भी गरीब लोगों के लिए दुष्कर हो गया है। जहां टमाटर 80 रुपये किलो तक पहुंचने के बाद (सुर्ख लाल होकर) मंदी पर आ गए हैं। वर्तमान में 20 रुपये किलो तक टमाटर बिक रहे हैं। वहीं प्याज दिनोंदिन भाव आसमान छू रहे हैं। यही नहीं लहसुन के भाव भी कम नहीं हो रहे हैं।
उपभोक्ता रमेश, दिनेश व महेश आदि ने बताया कि वे तड़का लगाने के लिए हरी प्याज खरीदते थे कितु अब हरी प्याज खरीद पाना भी कठिन हो गया है। या तो ताजा हरी प्याज बाजार में उपलब्ध नहीं हो पा रही है और जो भी मिलती है वह 80 रुपये किलो बिक रही है। उन्होंने बताया कि किसान भी अब चालाक हो गए हैं। वह हरी प्याज को थोड़े दिन और खेत में रखकर मोटी प्याज बना रहे और जल्दी से जल्दी उखाड़कर बाजार में महंगे दामों पर बेच रहे हैं। किसानों की भी अब इच्छा है कि उनकी हरी प्याज कुछ दिन और खेत में खड़ी रहे जिससे थोड़ी मोटी हो जाए और उसे बाजार में महंगे दामों पर बेच दिया जाए। ऐसे में प्याज एक अजीब पहेली बन गई है। हरी प्याज प्याज की राह पर चल पड़ी है और प्याज के शौकिनों के लिए आफत बन गई है।