तंत्र के गण : झुग्गी-झौपड़ियों में शिक्षा का दीप जला रहे जयप्रकाश कौशिक
जागरण संवाददाता, नारनौल : भारत की माटी तेरा शत-शत नमन, वंदन तुझे, तू है हम सबके माथे पर चंदन। कुछ ऐस
जागरण संवाददाता, नारनौल : भारत की माटी तेरा शत-शत नमन, वंदन तुझे, तू है हम सबके माथे पर चंदन। कुछ ऐसे ही भावों के साथ लोगों में देशप्रेम की अलख जगा रहे हैं पूर्व प्राचार्य एवं साहित्यकार जयप्रकाश कौशिक। कौशिक मातृभाषा के प्रचार प्रसार के जरिए लोगों को शिक्षित बनाकर समाज एवं राष्ट्र को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
6 अप्रैल, 1945 को ग्राम बड़कोदा में जन्मे कौशिक ¨हदी के कवि एवं साहित्यकार हैं। इसके साथ-साथ वे ¨हदी भाषा का प्रचार-प्रसार करते रहते हैं। साथ ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ में भी योगदान देते हैं। एमए, एमएड तक शिक्षित जयप्रकाश कौशिक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से बतौर प्राचार्य सेवानिवृत्त होने के बाद समाजसेवा से जुड़े। इन्होंने नारी सशक्तिकरण पर बल दिया और अशिक्षा को दूर भगाने के लिए इलाके में बड़ा योगदान दिया। सर्व शिक्षा अभियान के तहत झुग्गियों में पाठशालाओं का आयोजन किया। जरूरतमंद गरीब बच्चों को पाठ्य सामग्री वितरित की। उन्होंने किशोर उम्र के अल्प व्यस्क बच्चों के लिए भी काम किया। वे कहते हैं कि बच्चों के हाथों में पाठ्य पुस्तकों की बजाए और कोई सामान देखकर हृदय द्रवित हो जाता है। ¨हदी से उनको विशेष लगाव है और विभिन्न मंचों से ¨हदी कविताओं के जरिए लोगों में राष्ट्रवाद का प्रेम जागृत करना प्राथमिकता रहती है। उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा के जरिए अनपढ़ लोगों को शिक्षित बनाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया। इनका मानना है कि किसी भी समाज एवं राष्ट्र की मजबूती उसके शिक्षित बनने है। इसलिए शिक्षा जन-जन तक पहुंचनी चाहिए। जयप्रकाश कौशिक विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी जुड़े रहे हैं और उन्हें अनेक मंचों से सम्मान भी प्राप्त हो चुका है।