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इनको मिला गीता का ज्ञान

जब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 08:46 AM (IST)
इनको मिला गीता का ज्ञान

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे। उस समय उन्होंने अर्जुन से बोला था कि यह उपदेश वह पहले ही सूर्यदेव को दे चुके हैं। तब अर्जुन ने आश्चर्य से बोला कि हे मधुसुदन सूर्यदेव तो प्राचीन देवता है। आपने सूर्य देव को यह उपदेश कब दिया। तब श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि तुम्हारे और मेरे पहले से ही कई जन्म हो चुके हैं। तुम उन जन्मों के बारे में नहीं जानते, लेकिन मैं जानता हूं। इसलिए यह ज्ञान पहले ही सूर्यदेव को प्राप्त हो चुका है। महाभारत के समय जब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे। उस समय संजय धृतराष्ट्र को पूरी महाभारत के एक-एक पल के बारे में बता रहा था। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण के मुख से संजय ने गीता के उपदेशों को सुना और संजय के मुख से धृतराष्ट्र ने गीता का उपदेशों को सुना था महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी को महाभारत सुनाई और उन्हें गीता के उपदेश भी सुनाए। इसके बाद गणेश जी ने महाभारत ग्रंथ का निर्माण किया था। जब भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ की रचना की थी। उसके बाद उन्होंने यह ग्रंथ अपने सभी शिष्यों को सुनाया था और महाभारत का गुण रहस्य भी समझाया था। जो आगे चलकर ऋषि वैशम्पायन का राजा जनमेजय को दिया था। ऋषि वैशम्पायन का राजा जनमेजय को गीता का उपदेश राजा जनमेजय ने अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ के पूरा होने पर महर्षि वेद व्यास अपने शिष्यों के साथ राजा जनमेजय की सभा में गए। तब महार्षि वेदव्यास के शिष्य ऋषि वैशम्पायन ने राजा जनमेजय की सभा में पूरी महाभारत को सुनाया था। उसी समय उन्होंने वहां पर गीता का उपदेश भी सभा में बैठे लोगों को दिया था। ऋषि उग्रश्रवा का शोणक को गीता का उपदेश महर्षि लोमहर्षल के पुत्र उग्रसवा सुत वंश के श्रेष्ठ पौराणिक थे। एक बार जब नमिषागंज पहुंचे तो वहां के कुलपति शौनक 12 वर्ष का सत्संग कर रहे थे। जब नमिषागंज के ऋषियों और शौनक ने उन्हें देखा तो उनसे कथा सुनने का आग्रह किया। तब ऋषि उग्रश्रवा ने कहा कि मैं राजा जनमेजय के दरबार में ऋषि वैशम्पायन के मुख से महाभारत की कथा सुनी है। वही मैं आपको सुनाता हूं। इस प्रकार से ऋषि उग्रश्रवा ने निमिषागंज के सभी लोगों को महाभारत की कथा सुनाई। उसी समय उन्होंने गीता का उपदेश भी दिया।

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