ऊंट किस करवट बैठेगा, यह कहना अभी आसान नहीं
विधानसभा चुनाव को लेकर हर तरफ हो-हल्ला है। अदालत परिसर में भी सुबह ही चुनावी चर्चाएं आरंभ हो जाती हैं जो शाम तक जारी रहती है। अदालत परिसर में चारों विधानसभा क्षेत्रों से अधिवक्ता आते हैं ऐसे में यहां जिले की चारों सीटों पर चर्चाएं होती है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : विधानसभा चुनाव को लेकर हर तरफ हो-हल्ला है। अदालत परिसर में भी सुबह ही चुनावी चर्चाएं आरंभ हो जाती हैं, जो शाम तक जारी रहती है। अदालत परिसर में चारों विधानसभा क्षेत्रों से अधिवक्ता आते हैं, ऐसे में यहां जिले की चारों सीटों पर चर्चाएं होती है। अधिवक्ताओं का कहना है कि मौजूदा सरकार के लिए यह चुनाव आसान नहीं है। हालांकि दूसरी तरफ विपक्ष सरकार बनाने की स्थिति में दिखाई नहीं दे रहा। ऐसे में कड़े मुकाबले के बीच से प्रत्याशियों को गुजरना होगा। ऊंट किस करवट बैठेगा, यह कहना अभी आसान नहीं है। प्रधानमंत्री के आगमन के बाद हवा का रुख क्या होगा यह देखना होगा।
अधिवक्ताओं की चर्चाओं में दैनिक जागरण प्रतिनिधि भी शामिल हो गए। उन्होंने जब पूछा कि इस बार चुनाव में प्रमुख मुद्दा क्या है। अधिवक्ता हेमंत पराशर का कहना था कि पूरे प्रदेश में समान रूप से विकास हुआ है। इसी विकास की बदौलत जीत हासिल होगी। अधिवक्ता संजय वालिया ने उनकी बात काटते हुए कहा कि जिले में परिवर्तन की लहर चल रही है। जिले की सारी सीटों पर परिवर्तन होगा। लोकसभा चुनाव के समय देश में जो स्थिति थी वह अब नहीं है। पिछले पांच सालों से शहर की स्थिति क्या है यह हर कोई जानता है। विधानसभा चुनाव में अनुच्छेद 370 व बालाकोट मुद्दे नहीं हैं, यहां स्थानीय मुद्दे ही अहम होंगे।
अधिवक्ता धीरज अत्री ने कहा कि इस बार चुनाव मुकाबला काफी रोचक होगा। उनके पास आने वाले क्लाइंट भी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। इस चुप्पी में क्या होगा, यह चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा। अधिवक्ता विजेंद्र बांगड़ का कहना था कि सरकार कामों को गिनवा रही है, मगर अधिकतर योजनाएं तो कांग्रेस के समय ही शुरू हुई थी। जनता सब कुछ जानती है। अब जनता की बारी है कि वे कितनी पक्ष में जाती है और कितनी विपक्ष में। अधिवक्ता हरपाल सिंह का कहना था कि लाडवा विधानसभा में विकास तो हुआ है। मगर जनता को जितनी आस थी वह अभी अधूरी है। ऐसे में प्रत्याशियों को बहुत जोर लगाना पड़ेगा।