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बर्बादी से जंग लड़ी तब आजाद हुए हैं हम, रोम रोम में इंकलाब भर जिदाबाद हुए हैं हम..

सैनिकों के शौर्य पर न कोई प्रश्नचिह्न यदि ठाने शत्रु को ये जड़ से उखाड़ देते हैं कोई दो-दो हाथ करना भी यदि चाहता तो एक बार में ही भूमि पे पछाड़ देते हैं.जैसी देशभक्ति से ओत प्रोत व बेहतरीन रचनाओं से हरियाणा कला परिषद् के कलाकीर्ति भवन में कवि मनवीर मधुर ने वीरों को नमन किया। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 11:03 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 11:03 PM (IST)
बर्बादी से जंग लड़ी तब आजाद हुए हैं हम, रोम रोम में इंकलाब भर जिदाबाद हुए हैं हम..
बर्बादी से जंग लड़ी तब आजाद हुए हैं हम, रोम रोम में इंकलाब भर जिदाबाद हुए हैं हम..

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

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सैनिकों के शौर्य पर न कोई प्रश्नचिह्न यदि, ठाने शत्रु को ये जड़ से उखाड़ देते हैं कोई दो-दो हाथ करना भी यदि चाहता तो, एक बार में ही भूमि पे पछाड़ देते हैं.जैसी देशभक्ति से ओत प्रोत व बेहतरीन रचनाओं से हरियाणा कला परिषद् के कलाकीर्ति भवन में कवि मनवीर मधुर ने वीरों को नमन किया। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।

थानेसर नगर परिषद की निवर्तमान चेयरपर्सन उमा सुधा, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मबीर मिर्जापुर और जजपा के युवा जिला अध्यक्ष जसविद्र खैरा मौजूद रहे। हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने अतिथियों व कवियों को अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न भेंट करके स्वागत किया।

चेयरपर्सन उमा सुधा ने कहा कि कहा कि कवियों की रचनाओं में पत्थर के अंदर प्राण फूंकने जैसी शक्ति होती है। वे समाज में परिवर्तन ला सकते हैं। कवि डा. राजीव बटिया ने भी भारत मां के टुकड़े करके तुमको चैन नहीं आया, दोनों हाथ कटा कर मां के तुमको चैन नहीं आया, लूटपाट, हत्याएं करा के तुमको चैन नहीं आया, बसे बसाए घर उजाड़ कर तुमको चैन नहीं आया, सारा हिदोस्तान जला कर तुमको चैन नहीं आया, तो सुनो तुम्हारी मनमानी को और नहीं चलने देंगे। कसम राम की भारत को अब और नहीं बंटने देंगे, जैसी ओजपूर्ण कविताओं के माध्यम से मां भारती के चरणों में वंदना की।

मथुरा से आए राधाकांत पांडे ने झुकने नहीं दिया तिरंगा किसी हाल में भी, यह बात नई पीढि़यों को भी बताएं हम, जाति, पंथ, मजहब, बाद में प्रथम देशभक्त आ गया है इस भाव को जगाए हम, आज तक सीमा पर डटे हुए हमारे लिए उनके लिए भी अभियान ये चलाएं हम, देश के निमित्त प्राण दांव पे लगा रहे जो, एक दिया उनके भी नाम का जगाएं हम। एक से बढ़कर एक वीर रस की कविताओ के माध्यम से कवियों ने न केवल देशभक्ति की भावना का महत्व समझाया बल्कि युवाओं में देशप्रेम को भी जगाया।

कवयित्री मोनिका देहलवी ने भी अपने भावों को सांझा किया। शिखर सी है धवलता और मन चट्टान जैसा है, मेरे देश का सैनिक मेरे भगवान जैसा है, मैं अब हरगिज नहीं करती किसी का चरण वंदन, खड़ा सरहद पे हर सैनिक मेरे भगवान जैसा है जैसी पंक्तियों में जहां मोनिका ने वीर रस की झलक दिखाई वहीं, वेद पुराण कथा ना जाना ना रामायण ज्ञान किया है, ना श्लोक पढ़े भगवद् के ना गीता गुणगान किया है, प्रेम किया है प्रेम पढ़ा है, प्रेम सा ही ज्ञान हुआ है, प्रेम पढ़ा तो जान गई मैं मीरा ने क्यूं विषपान किया है के द्वारा श्रृंगार रस भी श्रोताओं को गुदगुदाया।

ये दुनिया खूबसूरत है तेरे दम से मेरे हमदम

कवयित्री गायत्री कौशल ने मेरी सांसों के संग मेरे हमेशा साथ चलता है, मेरे दिल में मेरी रुह में तुम्हारा प्यार पलता है, ये दुनिया खूबसूरत है तेरे दम से मेरे हमदम, ना जिस दम में तुम हो मेरा दम निकलता जैसी पंक्तियों से अपना काव्य पाठ किया। इनके अलावा करनाल से राजेश कुमार व कुरुक्षेत्र के वीरेंद्र राठौर ने भी कविताएं सुनाकर माहौल को खुशनुमा बनाया। रवि पांचाल ने देशभक्ति से भरे गीत सुनाए। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि बलवान सिंह, नरेश सागवाल, धर्मपाल गुगलानी, सीमा कांबोज, मनीश डोगरा, उपेंद्र मौजूद रहे।


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