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विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शोध पेटेंट होंगे तो होगा देश का विकास : शिव पूजे

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: महाराष्ट्र से आए पेंटेट विशेषज्ञ एवं एसोसिएटिड चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्य विजय कुमार शिव पूजे ने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों में जब गुणवत्तापूर्ण शोध होगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 01:35 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:35 AM (IST)
विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शोध पेटेंट होंगे तो होगा देश का विकास : शिव पूजे
विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शोध पेटेंट होंगे तो होगा देश का विकास : शिव पूजे

विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शोध पेटेंट होंगे तो होगा देश का विकास : शिव पूजे जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: महाराष्ट्र से आए पेंटेट विशेषज्ञ एवं एसोसिएटिड चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्य विजय कुमार शिव पूजे ने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों में जब गुणवत्तापूर्ण शोध होगा। शोधार्थी नए-नए विषयों पर अपने पेटेंट करवाएंगे तभी 21वीं सदी में देश विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करेगा। देश में शोध व शोधार्थियों को बढ़ावा मिले ऐसी नीतियां बनाने की आवश्यकता है। वे शनिवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आइपीआर सेल की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि देश के विश्वविद्यालय नैक के मूल्यांकन में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि विश्वविद्यालय पेटेंट को बढ़ावा दें। अपने शोधार्थियों को इसके लिए प्रेरित करें। पेटेंट बढ़ने से किसी शिक्षण संस्थान की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनती है। विश्वविद्यालयों को इस दिशा में फोकस होकर काम करने की आवश्यकता है।

पेटेंट इंफोरमेशन सेंटर हरियाणा से आए डॉ. राहुल तनेजा ने बौद्धिक संपदा अधिकार पर विस्तार से अपनी प्रस्तुति दी व इसके विभिन्न प्रकारों पर चर्चा करते हुए व्यक्ति, संस्था व देश के लिए इसके महत्व के बारे में प्रकाश डाला। बॉक्स

पेटेंट की प्रक्रिया समझाई केंद्र सरकार के पेटेंट एंड डिजाइन विभाग से आए डॉ. एसडी भटनागर ने पेटेंट करवाने की पूरी प्रक्रिया, भारत में मिल रही सुविधाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि सरकार की ओर से शोध व पेटेंट को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं इसका शोधकर्ताओं को लाभ उठाना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्यातिथि विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च प्रो. अनिल वोहरा ने कहा कि यह कार्यशाला अनुसंधानकर्ताओं के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई है। डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. श्याम कुमार ने इस मौके पर कापीराइट एक्ट के विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसके महत्व के बारे में प्रतिभागियों को अवगत करवाया। उन्होंने नैक के दौरान अपने अनुभवों को सांझा करते हुए पेटेंट के महत्व पर भी चर्चा की। विश्वविद्यालय आइपीआर सेल के नोडल आफिसर प्रो. संजीव अग्रवाल ने इस मौके पर सभी मेहमानों का स्वागत किया व इस कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्यों के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के लिए 100 प्रतिभागियों ने अपना पंजीकरण करवाया था, लेकिन कार्यशाला में 174 प्रतिभागियों ने भाग लिया है।

इस मौके पर छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. पवन कुमार शर्मा, निदेशक आइक्यूएसी सेल प्रो. दिनेश कुमार, उप-निदेशक विदेश छात्र सलाहकार डॉ. अजय अग्रवाल, उप-निदेशक युवा सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग डॉ. हितेंद्र त्यागी मौजूद थे।


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