मोहब्बत में जो डूबे हैं वही तो पार जाते हैं . . .
मुहब्बत में जो डूबे हैं वहीं तो पार जाते हैं वहीं चर्चा में रहते हैं जो इसमें हार जाते हैं। पंजाबी के शायर डा. दविदर बीबीपुरिया ने यह कविता ओस्का की ओर से आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन में कही।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : मोहब्बत में जो डूबे हैं वहीं तो पार जाते हैं, वहीं चर्चा में रहते हैं जो इसमें हार जाते हैं। पंजाबी के शायर डा. दविदर बीबीपुरिया ने यह कविता ओस्का संगठन की ओर से आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन में कही। तीज के अवसर पर आयोजित इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन में जुड़े कवियों ने एक से एक उम्दा प्रस्तुति दी। हास्य कवि डा. तेजिद्र ने सुनाया कि कोरोना काल में दुहाई है दुहाई, बाहर पुलिस भीतर लुगाई यानि एक तरफ कुआ दुसरी तरफ खाई. कैसे कहदें आज कल ड्राइविग है आसान स्कूटी से महंगा हुआ स्कूटी का चालान की प्रस्तुति दी। इसके बाद एसआइ नरेश सागवाल ने बेटियों पर अपनी रचना सुनाते हुए कहा कि पैदा होते मां बाप के जीवन में नया जोश भर देती हैं बेटिया, उनके जीवन में नया जोश भर देती हैं बेटियां। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डा. आबिद ने तीज पर अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि हर तरफ बह रही खुशियों की बहार, मुबारक हो तीज का त्योहार। झझर से हरियाणवी कलाकार राजकुमार धनखड़ ने भुलाए ना भूलता वो जमाना पुराना रै घरक्यां तै लूकमा जोड़ के मैं नहाना रै। कैथल से अशोक कुमार ने सामण पर अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि सामण आया सामण आया, मौसम घणा सुहाना ल्याया।
ओस्का के संरक्षक डा. चंद्रपाल पूनिया ने कहा कि ओस्का समय-समय पर कलाकारों को मंच प्रदान करता रहा है। कोरोना काल के चलते जब कलाकारों को कोई मंच नहीं मिल रहा था तो ओस्का ने आनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन कर कवियों को इसके साथ जोड़ा है।