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कुवि में 13 दिन से जारी हड़ताल से बदतर होने लगे हालात, भटकने को मजबूर विद्यार्थी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गैर शिक्षक संघ (कुंटिया) के आह्वान पर 13 दिनों से जारी हड़ताल से विश्वविद्यालय परिसर में हालात बदतर होने लगे हैं। अपने काम कराने के लिए पहुंचे सैकड़ों विद्यार्थी दिनभर धक्के खाकर कुवि प्रशासन को कोसते हुए लौट रहे हैं। समस्याओं के समाधान न होने पर कुलपति कार्यालय पर भी शिकायतकर्ताओं का तांता लगा रहता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 01:32 AM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 01:32 AM (IST)
कुवि में 13 दिन से जारी हड़ताल से बदतर होने लगे हालात, भटकने को मजबूर विद्यार्थी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गैर शिक्षक संघ (कुंटिया) के आह्वान पर 13 दिनों से जारी हड़ताल से विश्वविद्यालय परिसर में हालात बदतर होने लगे हैं। अपने काम कराने के लिए पहुंचे सैकड़ों विद्यार्थी दिनभर धक्के खाकर कुवि प्रशासन को कोसते हुए लौट रहे हैं। समस्याओं के समाधान न होने पर कुलपति कार्यालय पर भी शिकायतकर्ताओं का तांता लगा रहता है। इतना ही नहीं कई विभागों में ताला खोल कर पढ़ाई सुचारु रखने की जिम्मेदारी तक शिक्षकों और विद्यार्थियों को निभानी पड़ रही है। हड़ताल से परेशानी पर छात्र संगठनों के कई बार बवाल मचाने पर इस समस्या का समाधान नहीं निकल पाया है। अपनी मांगों को लेकर अड़े कुंटिया कर्मचारियों ने दूसरी पंक्ति के नेताओं के नेतृत्व में सोमवार को भी कुवि परिसर में जुलूस निकाल प्रदर्शन किया और उसके बाद बसों में सवार होकर विधानसभा घेराव के लिए निकल पड़े।

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पुनर्मूल्यांकन परीक्षाओं के परिणाम घोषित होने में देरी

यमुनानगर से पहुंची सुमन ने बताया कि उसने बीए अंतिम वर्ष की परीक्षाएं दी थी। इन परीक्षाओं के परिणाम आने के बाद उसने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था, लेकिन कई माह बीतने के बाद भी अभी तक उसका परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया गया है। जानकारी न मिलने पर जब वह कुवि परिसर पहुंची तो यहां परीक्षा शाखा पर ताला लगा हुआ है। परीक्षा परिणाम घोषित होने में देरी से उसकी आगे की पढ़ाई बाधित हो रही है।

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पानीपत से पहुंचा कुवि, यहां लटका मिला ताला

पानीपत से पहुंचे विक्रम ने बताया कि उसने बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा दी थी। कुवि की ओर से उसका परीक्षा परिणाम रोक लिया गया। जब वह इसके बारे में जानकारी लेने पहुंचे तो उसे कुछ कागजात जमा कराने की बात कही है। अब वह दो बार कागजात लेकर कुवि आ चुका है, लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल से उसका परीक्षा परिणाम ही नहीं मिल पाया है। वह अपने पिता के साथ नई दिल्ली में कूलर फैक्ट्री में काम करता है। इस काम के लिए कुरुक्षेत्र पहुंचने पर उसे आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

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गुरमीत को नहीं डीएमसी

बारवा गांव के गुरमीत को बीए अंतिम वर्ष की डीएमसी लेनी थी। इसके लिए वह कई बार परीक्षा शाखा के चक्कर लगा चुका है, लेकिन हर बार कर्मचारी कोई न कोई बहाना लगा टरका देते हैं। अब पिछले 13 दिनों से कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं। वह इन दिनों में दो बार कुवि परिसर पहुंचे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। कुवि प्रशासन को लोगों की समस्या को देखते हुए इसके लिए कोई उचित प्रबंध करना चाहिए।

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21--प्रदीप को नहीं मिल रही डुप्लीकेट डीएमसी

बीए द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी प्रदीप ने बताया कि उसकी डीएमसी गुम हो गई थी। इस लिए उसने डुप्लीकेट डीएमसी जारी करने के लिए आवेदन किया था। इस आवेदन को दो माह बीत गए हैं आज तक उसकी डीएमसी जारी नहीं की गई है। जब वह कुवि परिसर में जानकारी लेने पहुंचा तो यहां परीक्षा शाखा पर ताला लटका हुआ है। कोई भी अधिकारी यह बताने तक को तैयार नहीं है कि उसे डीएमसी कितने दिन में मिल जाएगी।

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कुंटिया प्रधान ने कुवि प्रशासन पर लगाया कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप

कर्मचारियों ही हड़ताल के चलते कुवि प्रशासन ने इस मामले को अदालत में उठाया था। सोमवार को अदालत के फैसले की कॉपी कर्मचारियों को उपलब्ध हुई। इसके बाद फैसला पढ़कर पहली पंक्ति के 17 कर्मचारी नेताओं ने विवि परिसर से 50 मीटर की दूरी पर टेंट लगा अपना प्रदर्शन शुरू किया। उनके प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए कांग्रेस के प्रदेश संगठन सचिव सुभाष पाली भी पहुंचे। इस मौके पर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कुंटिया प्रधान रामकुमार गुर्जर ने कहा कि कुवि प्रशासन के दमनचक्र का माकूल जवाब दिया जायेगा। कुंटिया के कर्मचारियों को किसी भी प्रकार से गुमराह नहीं होना चाहिए, विवि प्रशासन कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है। अगर विवि प्रशासन इस आंदोलन को दबाने का प्रयास करेगा तो कुंटिया का ये आंदोलन और तेज होगा और कुंटिया का एक-एक कर्मचारी किसी भी प्रकार की कुर्बानी देने में भी पीछे नहीं हटेगा। इस मौके पर वरिष्ठ उप-प्रधान भूषण कुमार, महासचिव नीलकंठ शर्मा, सह-सचिव र¨वद्र तोमर सहित वह सभी 17 नेता उपस्थित रहे, जिनके संबंध में अदालत ने फैसला सुनाया है।


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