कुख्यात जबरा के मारे जाने से शहर वासियों ने ली राहत की सांस
संवाद सहयोगी लाडवा कुख्यात जबरा के मारे जाने से शहर वासियों के साथ-साथ पुलिस ने भी राहत की सांस ली।
संवाद सहयोगी, लाडवा : कुख्यात जबरा के मारे जाने से शहर वासियों के साथ-साथ पुलिस ने भी राहत की सांस ली। पांच लाख रुपये के इनामी बदमाश जबर सिंह उर्फ जबरा ने लाडवा व आसपास के क्षेत्रों में पिछले तीन-चार साल से आतंक का पर्याय बना हुआ था। लाडवा की महावीर कालोनी निवासी जबर सिंह उर्फ जबरा चार साल पहले उस समय सुर्खियों में आया था जब उसने लाडवा के डेरा में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी थी। उसके बाद से लोगों को अक्सर जबरे का नाम विभिन्न वारदातों में सुनाई देने लगा था। हत्या के मामले में जेल में बंद जबर सिंह उर्फ जबरा पिछले साल जुलाई में पैरोल पर बाहर आया था और 17 जुलाई 2018 को उसे वापिस जेल जाना था लेकिन जबरा पैरोल लेकर फरार हो गया था। जबरा को काबू करना पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। पैरोल से फरार होने के बाद ही जबरे ने जिला करनाल के बुटाना थाना क्षेत्र के चर्चित बबली हत्याकांड को अंजाम दिया था। पुलिस ने जबर सिंह उर्फ जबरा के परिवार को उसके एनकाउंटर में मारे जाने की सूचना दे दी है। मूल रूप से गांव मेहरा का रहने वाला था जबरा जबरा मूल रूप से गांव मेहरा का रहने वाला था। तीन भाई-बहन में वह सबसे छोटा था। उसके पिता मंजीत सिंह पूर्व फौजी हैं, जो पांच साल पहले ही लाडवा की महावीर कालोनी में आकर बस गए थे। महावीर कालोनी में ही उसके पिता ने दूध की डेयरी खोलकर दूध बेचने का काम आरंभ किया था। जबरा से बड़े भाई और एक बहन विवाहित हैं जबकि वह अविवाहित था। जबरा के खिलाफ है कुरुक्षेत्र व करनाल में 11 मामले दर्ज
जबरा के खिलाफ लाडवा, शाहाबाद व बुटाना जिला करनाल में 11 मुकदमें दर्ज हैं। जिनमें हत्या, जान से मारने की धमकी, डकैती, अवैध हथियार, मारपीट आदि के हैं। उसके के खिलाफ लाडवा थाने में पहला मुकदमा 20 जुलाई 2014 को मारपीट के आरोप में दर्ज हुआ था, जिसमें वह अदालत से बरी हो गया था। पहले मुकदमें के दो माह बाद ही उसके खिलाफ पुलिस ने जान से मारने की धमकी देने, इरादा कत्ल व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में भी वह अदालत से बरी हो गया था। इसके दो माह बाद ही फिर से उसके खिलाफ लाडवा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। डेयरी मालिक भूपिद्र की हत्या के बाद सुर्खियों में आया था जबरा जबरा पहली बार 26 फरवरी 2015 को उस समय सुर्खियों में आया था जब उसने लाडवा के डेरा में एक दूध डेयरी मालिक भूपिद्र सिंह की रात के समय घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक के पुत्र रविद्र सिंह की शिकायत पर पुलिस ने जबरा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद जबरा के खिलाफ अप्रैल व मई 2015 में थाना सदर कुरुक्षेत्र व थाना शाहाबाद में डकैती व अवैध हथियार रखने के मुकदमें दर्ज हुए और 23 अक्टूबर 2015 को थाना शहर में सरकारी कर्मचारी को जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद पुलिस ने जबरा को कड़ी मशक्कत के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जुलाई 2018 में वह पैरोल पर बाहर आकर फरार हो गया था। पुलिस ने 28 जुलाई को उसके खिलाफ पैरोल से फरार होने का मुकदमा दर्ज किया था। इसके अगले ही दिन जबरे ने अपने साथियों के साथ करनाल के बुटाना थाना क्षेत्र में चर्चित बबली हत्याकांड को अंजाम दिया था। इस हत्याकांड ने लोगों में जबरा की दहशत पैदा कर दी थी। उसने पुलिस की नाक के नीचे ही 17 जनवरी 2019 को बबली हत्याकांड के गवाह की हत्या कर दी थी, जिसके बाद से पुलिस उसके पीछे लगी थी।