औसतन आठ मिमी बारिश ने दिलाई गर्मी से राहत
कुरुक्षेत्र पिछले तीन दिनों से मौसम के बार-बार करवट बदलने के बाद 24 घंटे में जिला भर में औसतन आठ एमएम बरसात हुई। आसमान में बादलों और गरज के साथ बुधवार की देर शाम और रात में सबसे अधिक बाबैन में 21 एमएम बरसात हुई।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पिछले तीन दिनों से मौसम के बार-बार करवट बदलने के बाद 24 घंटे में जिला भर में औसतन आठ एमएम बरसात हुई। आसमान में बादलों और गरज के साथ बुधवार की देर शाम और रात में सबसे अधिक बाबैन में 21 एमएम बरसात हुई। इस बरसात से अधिकतम तापमान भी 35 डिग्री से कम होकर 31 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है, जबकि न्यूनतम तापमान 23 से कम होकर 21 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है। बरसात के चलते लोगों को गर्मी से राहत मिली है। तेज आंधी के साथ आई बरसात से बाबैन की अनाज मंडी में खुले में पड़ा प्याज भी भीग गया। मौसम विशेषज्ञों ने अगले एक दो दिन और आसमान में बादल रहने का अनुमान जताया है।
पिछले करीब सप्ताह भर से आसमान में बादल छाने और हल्की बूंदाबांदी से लोगों को गर्मी से राहत मिली है। मौसम सुहावना होने पर लोग सुबह और शाम घरों की छतों पर निकल रहे हैं। इतना ही नहीं बरसात से हवा में प्रदूषण को भी कम कर दिया है। ऐसे में लोग शुद्ध हवा में खुलकर सांस ले रहे हैं।
बाबैन में सबसे ज्यादा 21 एमएम बरसात
पिछले 24 घंटों में बाबैन में सबसे ज्यादा 21 एमएम बरसात हुई है। इस बरसात से अनाज मंडियों में पहुंचा प्याज भीग गया है। इसके साथ ही खेतों में भी बरसात का पानी खड़ा होने पर प्याज की फसल को निकालने में किसानों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। इस्माईलाबाद में भी 13 एमएम बरसात से पानी निकासी के सारे दावों की पोल खोल दी है। अचानक आई तेज बरसात से कई जगह गलियों में पानी भर गया। इस्माईलाबाद अनाज मंडी में ही कई जगह पानी खड़ा होने पर आढ़तियों को परेशानी झेलनी पड़ी। इसके बाद वीरवार की सुबह भी कई जगह आसमान में बादल छाने और गरज के साथ हल्की बूंदाबांदी हुई। बारिश के आंकड़े
ब्लॉक एमएम
थानेसर 0.5
पिहोवा 00
शाहाबाद 14
लाडवा 02
इस्माईलाबाद 13
बाबैन 21
बरसात से नहीं कोई नुकसान
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. प्रदीप मील ने बताया कि इन दिनों बरसात से कोई नुकसान नहीं है। इन दिनों में ज्यादातर खेत खाली होते हैं। बरसात भी ज्यादा तेज नहीं होती। इस हल्की बरसात का पानी खेत आसानी से सोख लेते हैं। इससे किसानों को खेत जुताई करने और पर्यावरण में प्रदूषण स्तर कम होने में मदद मिलती है।