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किसानों ने लिया पराली में आग न लगाने का संकल्प

गांव मुंडाखेड़ा के किसानों ने शुक्रवार को दैनिक जागरण के पराली प्रबंधन अभियान का हिस्सा बनते हुए पराली न जलाने का संकल्प लिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 08:12 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 08:12 AM (IST)
किसानों ने लिया पराली में आग न लगाने का संकल्प
किसानों ने लिया पराली में आग न लगाने का संकल्प

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गांव मुंडाखेड़ा के किसानों ने शुक्रवार को दैनिक जागरण के पराली प्रबंधन अभियान का हिस्सा बनते हुए पराली न जलाने का संकल्प लिया। कृषि विभाग के किसानों को खेत में सुपर सीडर चलाकर उसकी कार्यविधि के बारे में बारीकी से समझाया गया।

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सहायक कृषि अभियंता राजेश वर्मा ने बताया कि पराली को जलाने के नुकसान होता है। इसी पराली यानी फसली अवशेष को सीधा खेत में दबाने के फायदे होते हैं। फसल कटाई के बाद खेत में खड़े फसली अवशेष (फानों) को खेत मे मिलाने के लिए सरकार की ओर से करोड़ों रुपये की सब्सिडी पर अत्याधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इन कृषि यंत्रों ने खेती को आसान कर दिया है। इनकी मदद से किसान आसानी से फानों को मिट्टी में मिलाकर अपना और समाज का भला कर सकता है।

जिले में 500 के करीब कस्टम हायरिग सेंटर

उन्होंने बताया कि फानों को आग से बचाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से जिला भर में 500 के करीब कस्टम हायरिग सेंटर खोले गए हैं। इन सेंटरों पर सरकार की ओर से सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए गए अत्याधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध हैं। किसान इनकी मदद से फानों को खेत में ही मिला सकते हैं। इसके अलावा 115 पंचायतों को भी कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए गए हैं। किसान अपने ट्रैक्टर की मदद से इन कृषि यंत्रों से फानों को मिट्टी में दबाकर अगली फसल की बिजाई कर सकती है। उन्होंने बताया कि फानों में आग लगाने से पर्यावरण प्रदूषण तो बढ़ता ही है इसके साथ ही मिट्टी उपजाऊ शक्ति भी कम हो रही है।

फानों में बिजाई के लिए सुपर सीडर है बेहतर विकल्प

खेत में खड़े फानों में ही गेहूं बिजाई के लिए सुपर सीडर एक बेहतर विकल्प है। किसान कंबाइन से फसल कटवाने के साथ सीधे सुपर सीडर से गेहूं की बिजाई कर सकता है। सुपर सीडर पहले फानों को मिट्टी में मिलाता है, इसके बाद इस पर लगी मशीन से गेहूं की बिजाई की जाती है। इसकी बिजाई के अच्छे परिणाम आ रहे हैं। ऐसे में किसानों को फसल कटाई के बाद जुताई करने की भी जरूरत नहीं पड़ती।

नहीं लगा रहे फानों में आग

गांव मुंडाखेड़ा के सरपंच राजेंद्र सिंह ने कहा कि वह कई सालों से फानों में आग नहीं लगा रहे। सरकार की ओर से उपलब्ध करवाए गए कृषि यंत्रों से इन फानों को सीधे खेत की मिट्टी में ही मिला रहे हैं। इसके लिए दैनिक जागरण समाचार पत्र भी लगातार किसानों को जागरूक कर रहा है। इससे लोग जागरूक हो रहे हैं और फानों में आग के मामले कम होते जा रहे हैं। वह भी किसानों को इसके लिए जागरूक कर रहे हैं।

किसान हुए जागरूक

किसान निशान सिंह ने कहा कि अब किसान जागरूक हो रहा है। फानों में आग से नुकसान से बचने के लिए बेलर से पराली की गांठ बनवाकर बेची जा रही हैं। पराली की बिक्री के लिए गांव स्तर पर प्रबंध किए जाने चाहिए। कई किसानों के लिए पराली को संबंधित उद्योग तक पहुंचाना मुश्किल है। ऐसे में गांव स्तर पर पराली बिक्री के प्रबंध होने पर किसानों के लिए पराली बेचने में सुविधा रहेगी।


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