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भगवान शिव के अभिषेक को सुबह पांच से रात 10 बजे तक खुले रहेंगे कपाट

शिव के भक्तों के लिए अच्छी खबर है। श्रद्धालुओं के लिए सुबह पांच से रात 10 बजे तक भगवान शिव के अभिषेक के लिए मंदिर के कपाट खुले रहेंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 08:30 AM (IST)
भगवान शिव के अभिषेक को सुबह पांच से रात 10 बजे तक खुले रहेंगे कपाट
भगवान शिव के अभिषेक को सुबह पांच से रात 10 बजे तक खुले रहेंगे कपाट

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : शिव भक्तों के लिए कोरोना काल में अच्छी खबर है। शिवरात्रि पर सुबह पांच से रात 10 बजे तक अभिषेक के लिए मंदिर के कपाट खुले रहेंगे। सरकार के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने मंदिर के कपाट बंद रखने के आदेशों को वापस ले लिया है और 14 घंटे के लिए मंदिर के कपाट खुले रखने की स्वीकृति दे दी है। मंदिर में जाते समय कोविड-19 के नियमों की पालना करनी जरूरी होगी।

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शनिवार को प्रदोष व्रत और त्रयोदशी पर शिवभक्त भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए दिन भर मंदिर में पहुंचते रहे। श्रद्धालुओं को लगा कि मंदिर के कपाट बंद रहेंगे इसलिए वे शिवरात्रि से एक दिन पूर्व ही मंदिर में पहुंचकर पूजा की और भगवान शिव का जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक भी किया। इन प्रमुख मंदिरों में बड़ी संख्या में आते हैं श्रद्धालु

प्राचीन श्रीदुखभंजन महादेव मंदिर, श्रीकालेश्वर महादेव मंदिर, स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर, ब्रह्मसरोवर स्थित सर्वेश्वर महादेव मंदिर, रतनदक्ष चिट्टा मंदिर में श्रद्धालु पहुंचते हैं। खासतौर पर अरुणाय स्थित संगमेश्वर मंदिर और पिहोवा स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में मेले का आयोजन भी होता है। इन सभी मंदिरों में जिला प्रशासन के आदेश मिलने के साथ ही तैयारियां शुरू हो गई और मंदिर को अंदर व बाहर सजाने का काम शुरू कर दिया गया।

इन नियमों की करनी होगी पालना

जिलाधीश धीरेंद्र खडगटा ने शिवरात्रि 19 जुलाई को जिले के सभी मंदिर सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक पूजा करने की परमिशन दी है। मंदिरों में सुरक्षा के लिए दो गज की शारीरिक दूरी की पालना करनी होगी। सबको फेस कवर या मास्क लगाना होगा। मंदिरों में आरती, भजन मंडली, कीर्तन व सामूहिक सभा करने की इजाजत नहीं होगी। एक-एक श्रद्घालु को प्रार्थना करने की अनुमति देनी होगी। मंदिर में प्रसाद बांटने, लंगर लगाने व पवित्र जल छिड़कने की भी इजाजत नहीं होगी। केवल सामुदायिक रसोई को नियमों की पालना करते हुए चलाने की अनुमति होगी। दिन में कई बार नियमित अंतराल पर मंदिर को सैनिटाइज करना होगा। श्रद्धालुओं को टोकन जारी किया जा सकता है। आदेशों की उल्लघंना करने पर आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की धारा 1860 कार्रवाई की जाएगी।


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