सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का असर दिखेगा सरकारी नियमों पर
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने बृहस्पतिवार को निजता के अ
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने बृहस्पतिवार को निजता के अधिकार पर अपना फैसला सुना दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से इसे मौलिक अधिकार माना है। अदालत के इस फैसले के बाद आधार, पैन, क्रेडिट कार्ड को सार्वजनिक नहीं हो सकता। इस फैसले के बाद अब किसी के आधार की जानकारी लीक नहीं की जा सकती। वकीलों का मानना है यह फैसला स्वागत योग्य है। इसके बाद सरकार को अपने कई फैसलों पर दोबारा विचार करना होगा। इससे लोगों को गैर जरूरी जानकारियां देनी पड़ रही थीं।
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फैसला स्वागत योग्य : विनय मोहन
अधिवक्ता विनय मोहन आश्री का कहना है कि यह फैसला स्वागत योग्य है। इसके बाद व्यक्ति की इच्छा के बिना उसके निजी जीवन से जुड़े तथ्यों को उजागर नहीं किया जा सकता। इससे आम लोगों को फायदा होगा। साथ ही सरकार की ओर से मांगी जाने वाली निजी सूचनाएं देने के लिए आम आदमी बाध्य नहीं होगा।
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पहले भी आया था फैसला : जेएस सोलखे
अधिवक्ता जेएस सोलखे ने कहा कि इससे पहले 1952 और 2004 में इस प्रकार के फैसले आ चुके हैं। जिसमें निजता को अधिकार माना गया है, लेकिन पहली बार न्यायालय की ओर से निजता को मौलिक अधिकार माना है। यह बड़ा फैसला है। स्वागत योग्य है। अब सभी को निजता का अधिकार मिल गया है।
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आम लोगों को होगा फायदा : धुम्मन ¨सह
अधिवक्ता धुम्मन ¨सह किरमीच का कहना है कि इस फैसले से आम लोगों को फायदा होगा। अब तक कई लोग दूसरों की जानकारियों को लेकर समाज में भ्रांतियां फैलाते थे। ऐसे कार्यों पर रोक लग जाएगी। इसके अलावा अब निजी जानकारी के लिए इजाजत की आवश्यकता होगी।
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सरकार के कई नियमों पर पड़ेगा भारी : सुदेश बाला
अधिवक्ता सुदेश बाला ने कहा कि सरकार कोई कानून बनाती है तो उसमें पैन और आधार जैसी जानकारी को देना जरूरी नहीं किया जा सकेगा। यह सरकार के कई नियमों पर भारी पड़ेगा। इससे आम आदमी से ली जाने वाली गैर जरूरी जानकारियां सार्वजनिक नहीं हो सकेंगी। इसके साथ ही रेल और हवाई जैसी यात्राओं में आधार पैन कार्ड की जानकारी देना जरूरी नहीं किया जा सकता।