जल रहे फसल के अवशेष, मौन प्रशासन, जनता हलकान
फोटो संख्या- 16 - धुएं के गुबार के कारण सड़क पार करना भी मुश्किल सरकार और प्रशासन लाख कवायद के बावजूद फानों में लगने वाली आग को नहीं रोक पा रहा है। प्रशासन की ओर से की जा रही सख्ती के बाद भी किसान लगातार खेतों में आग लगा रहे हैं। इससे जहां लगातार प्रदूषण बढ़ रहा, वहीं हाइवे से गुजरने वाले वाहनों के लिए मुसीबत बढ़ती जा रही है।
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- धुएं के गुबार के कारण सड़क पार करना भी मुश्किल
- हर दिन लग रही है जिले में कई जगह फाने में आग, अब तक महज छह मामले हुए दर्ज
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
सरकार और प्रशासन लाख कवायद के बावजूद फानों में लगने वाली आग को नहीं रोक पा रहा है। प्रशासन की ओर से की जा रही सख्ती के बाद भी किसान लगातार खेतों में आग लगा रहे हैं। इससे जहां लगातार प्रदूषण बढ़ रहा, वहीं हाइवे से गुजरने वाले वाहनों के लिए मुसीबत बढ़ती जा रही है। किसान खुलेआम गेहूं के अवशेषों को आग के हवाले कर रहे हैं। पूरे सीजन में केवल इस्माईलाबाद व पिहोवा क्षेत्र में फानों में आग लगाने की घटनाएं सबसे ज्यादा सामने आई हैं। जिले में अभी तक कृषि विभाग की ओर से फाने जलाने पर छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है, उन पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। हादसों को न्योता दे रहा खेतों में आग लगाना
क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ ही कई राज्य स्तरीय मार्ग भी हैं। अब सीजन के समाप्त होने के बाद खेलों में गेहूं के अवशेष में किसान आग लगा देते हैं। जिसका धुआं सड़कों पर जा रहे वाहन चालकों को परेशान करता है। कई बार तो सड़क के किनारे कई एकड़ में आग होने के कारण वाहन चालक को धुएं को पार करना मुश्किल हो जाता है। वहीं सामने से आ रहे दूसरे वाहन के न दिखने के कारण दुर्घटना का कारण बन जाता है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर यह समस्या सबसे अधिक है। फोटो संख्या- 18
टीमें की गई हैं गठित
जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद का कहना है कि गेहूं के फानों पर आग लगाने वालों पर निगरानी रखने के लिए सात टीमें गठित की गई हैं। इसके साथ ही पटवारी, ग्राम सचिव व सरपंच को भी निर्देश दिए गए हैं, फानों में आग लगाने की सूचना तुरंत खंड कार्यालय पर दी जाए। अभी तक आग लगाने के छह मामले सामने आए हैं, जिन पर 15 हजार रुपये का जुर्माना किया गया है। पिछले धान व गेहूं के सीजन में आग लगाने की सूचना मिलने के आधार पर संबंधित किसान को जुर्माना किया। इससे किसानों में जागरूकता आई। कृषि विभाग की ओर से सब्सिडी पर कृषि यंत्र किसानों को मुहैया करवाए गए हैं। जिसके आधार पर उन्होंने फानों का निपटान भी किया। वर्ष 2017 में गेहूं के फानों में आग लगाने के 126 मामले सामने आए थे। आग लगाने वालों से 3 लाख 15 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया था। फोटो संख्या- 17 यह किया जा सकता है प्रबंधन
वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डॉ. बलदेव परमार का कहना है कि किसान फसल अवशेषों को पशु चारा अथवा औद्योगिक प्रबंधन के लिए एकत्रित कर सकते हैं। गेहूं के अवशेष में यूरिया, कैल्शियम हाइड्रो आक्साइड से उपचार या फिर प्रोटीन द्वारा संवर्द्धन कर पशु चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। खेत में स्ट्रा बेलन मशीन की मदद से फसल अवशेषों का ब्लॉक बनाकर कम जगह में भंडारित करते हुए पशु चारा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। गेहूं के फानों पर रीपर मशीन को चलाकर भूसा बनाया जा सकता है। फसल अवशेषों को मशरूम की खेती में सार्थक प्रयोग किया जा सकता है।
फाने जलाने से यह होता है नुकसान
कृषि विशेषज्ञ डॉ. बलदेव परमार ने बताया कि
गेहूं के फाने जलाने से 100 प्रतिशत नाइट्रोजन, 25 प्रतिशत, 20 प्रतिशत पोटाश एवं करीब 60 प्रतिशत सल्फर का नुकसान होता है। इसके साथ ही भूमि की संरचना में क्षति होने से पोषक तत्व भी समुचित मात्रा में पौधों को नहीं मिल पाते। जमीन में मौजूद कार्बनिक प्रदार्थों का नुकसान होता है। जमीन की ऊपरी सतह में रहने वाले मित्र कीट केंचुआ भी नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेषों से मिलने वाले पोषक तत्वों से भी जमीन वंचित रह जाती है। फोटो संख्या- 19
बढ़ सकती है फेफड़ों की बीमारी : डॉ. झांब
बड़े पैमाने में खेतों में फसलों के अवशेषों को जलाने से धुएं से निकलने वाली कार्बन मोनो ऑक्साइड और कार्बन डाइ ऑक्साइड गैसों से ओजोन परत फट रही है इससे अल्ट्रावायलेट किरणें, जो स्किन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है सीधे जमीन पर पहुंच जाती है। इसके धुएं से आंखों में जलन होती है। सांस लेने में दिक्कत हो रही है और फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं।
- डॉ. एनके झांब, छाती रोग विशेषज्ञ