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श्रावन में सोमवती अमावस्या और पूर्णिमा का संयोग 47 साल बाद

सावन को हरियाली और उत्साह का महीना माना जाता है। इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधरोपण किया जाता है। इस दिन पौधरोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं। अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से भी माना जाता है। पितरों में प्रधान अर्यमा को माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि वह स्वयं पितरों में प्रधान अर्यमा हैं। हरियाली अमावस्या के दिन पौधरोपण से पितर भी तृप्त होते हैं यानी इस दिन पौधे लगाने से प्रकृति और पुरुष दोनों ही संतुष्ट होकर मनुष्य को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन एक पौधा लगाना शुभ माना जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 07:10 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 07:10 AM (IST)
श्रावन में सोमवती अमावस्या और पूर्णिमा का संयोग 47 साल बाद
श्रावन में सोमवती अमावस्या और पूर्णिमा का संयोग 47 साल बाद

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सावन को हरियाली और उत्साह का महीना माना जाता है। इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधारोपण किया जाता है। इस दिन पौधारोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं। अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से भी माना जाता है। पितरों में प्रधान अर्यमा को माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि वह स्वयं पितरों में प्रधान अर्यमा हैं। हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण से पितर भी तृप्त होते हैं, यानी इस दिन पौधे लगाने से प्रकृति और पुरुष दोनों ही संतुष्ट होकर मनुष्य को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन एक पौधा लगाना शुभ माना जाता है।

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गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि श्रावण मास में दो सोमवार को विशेष रूप से अमावस्या और पूर्णिमा आ रही हैं। सावन में सोमवती अमावस्या और सोमवार को पूर्णिमा का संयोग 47 साल बाद आया है। जबकि 20 साल बाद सावन सोमवार को सोमवती और हरियाली अमावस्या का संयोग बन रहा है। इससे पहले 31 जुलाई 2000 में सोमवती और हरियाली अमावस्या एक साथ थी। उन्होंने बताया कि इस साल हरियाली अमावस्या के दिन चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। ग्रहों की इस स्थिति का शुभ प्रभाव कई राशियों पर देखने को मिलेगा। महिला तुलसी की 108 परिक्रमा करती हैं।

हरियाली अमावस्या पर पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। सबसे पहले सूर्य देव को अ‌र्घ्य दें। इसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। फिर श्रावणी अमावस्या का उपवास करें और जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा दें। इस दिन पीपल की पूजा करने का विधान है। इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू या तुलसी का वृक्षारोपण जरूर करें। नदी या तालाब में मछली को आटे की गोलियां खिलाना भी बड़ा ही फलदायी है। अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।

श्रावण अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म

श्रावण अमावस्या पर पेड़-पौधों को नया जीवन मिलता है और इनकी वजह से ही मानव जीवन सुरक्षित रहता है। इसलिए प्राकृतिक ²ष्टिकोण से भी हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है। इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अ‌र्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें।


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