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स्मॉग ने कठिन बना दिए आदित्य के दर्शन

छठ पूजा पर ब्रह्मसरोवर के ठंडे जल में सुबह से खड़े व्रतधारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। स्मॉग के चलते सूर्यदेव करीब एक घंटा देरी से नजर आए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 06:27 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:27 AM (IST)
स्मॉग ने कठिन बना दिए आदित्य के दर्शन
स्मॉग ने कठिन बना दिए आदित्य के दर्शन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : छठ पूजा पर उदयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए ब्रह्मसरोवर के जल में खड़े व्रतधारी श्रद्धालुओं के व्रत को घने स्मॉग ने और कठोर बना दिया। स्मॉग की वजह से निर्धारित समय के एक घंटा बाद सूर्य के दर्शन हुए। इस दौरान ठंड में पानी के बीच खड़े श्रद्धालुओं को यह निर्णय लेना मुश्किल हो रहा था कि वे सूर्य के दर्शन किए बिना बाहर आ जाएं या फिर कुछ देर और इंतजार करे। इसी ऊहापोह में कई श्रद्धालु सूर्य के दर्शन किए बगैर ही बाहर आ गए, जबकि कई ²ढ़ निश्चय के साथ सूर्यदेव के दर्शन होने तक जल में ही तटस्थ रहे। सुबह 16 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान और ब्रह्मसरोवर के ठंडे पानी में खड़े श्रद्धालु कांपते हुए नजर आए। फिर भी वे जल में खड़े होकर स्मॉग के पर्दे को पाटकर सूर्यदेव की एक झलक पाने की इच्छा में खड़े रहे। सूर्य को अ‌र्घ्य देकर व्रत संपन्न करने का विधान : कमल भारद्वाज

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विश्व हिदू परिषद के प्रांत धर्माचार्य सह संपर्क प्रमुख पंडित कमल भारद्वाज ने बताया कि घने कोहरे की वजह से सूर्यदेव उदय होने के बाद भी दिखाई नहीं दे रहे। फिर भी सूर्य देवता को समर्पित यज्ञ पूर्ण हो चुका है। यज्ञ में पूर्णाहुति डाली जा चुकी है। सूर्याेदय का समय भी काफी देर हुए पूरा हो चुका है अब अगर समय देखकर श्रद्धालु तीर्थ से बाहर निकलना चाहे तो वो निकल सकते हैं। मगर ²ढ़ निश्चय वाले श्रद्धालु तब तक सरोवर में खड़े रहेंगे जब तक सूर्यदेवता के दर्शन नहीं हो जाते। इस व्रत में उदयमान सूर्य को देखकर ही व्रत को संपन्न करने का विधान है। स्मॉग की वजह से दिखाई नहीं दिए सूर्यदेव

अमित कुमार ने बताया कि पूरी तरह से सूर्य के दर्शन तो नहीं हुए। सूर्यदेव साढ़े छह बजे या पौने सात बजे तक निकल जाते हैं, लेकिन आज घना स्मॉग होने की वजह से सूर्यदेव दिखाई नहीं दिए। सूर्य उदय होने के समय को मान कर करीब एक घंटा इंतजार करने के बाद ही उनका परिवार सरोवर से बाहर निकला है। दूर सूर्यदेव की चमक नजर आ रही थी। घने कोहरे ने श्रद्धालुओं की परेशानी को बढ़ा दिया है। जमकर की आतिशबाजी

रात भर ब्रह्मसरोवर पर श्रद्धालु पारंपरिक गीत गाते रहे। इसी बीच श्रद्धालुओं ने जमकर आतिशबाजी की। बच्चे भीड़ के बीच में भी आतिशबाजी करने से नहीं माने। इसकी वजह से कई बार पटाखे श्रद्धालुओं की भीड़ में गिरकर बजते रहे। जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को खासी परेशानी हुई। मेला खत्म होने के बाद दिखाई दी अव्यवस्था

हजारों की तादाद में ब्रह्मसरोवर आए श्रद्धालुओं के जाने के बाद सरोवर के चारों ओर गंदगी के ढेर लग गए। प्रतिबंधित होने के बावजूद छठ पर्व पर भंडारा आयोजित करने वाली कुछ कमेटी द्वारा थर्माकोल की प्लेटों में खाना वितरित किया गया। जिसकी वजह से ब्रह्मसरोवर के पार्क में प्लेटें साफ तौर पर दिखाई दी।


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