बारिश के पानी से गुलजारी लाल नंदा रोड पर सीवर जाम
हर साल लाखों रुपये का बजट मानूसन सीजन से पहले नाले-नालियों व सीवर लाइनों को साफ करने के लिए खर्च किया गया है इसके बावजूद बरसात में सड़क व गलियां गंदे पानी से लबालब हो जाती है। आखिर लाखों रुपये का बजट कहां खर्च होता है। नालों व सीवर लाइन को साफ करने का कार्य कहीं दिखाई भी नहीं देता तो वह लाखों रुपये कहां जाते हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : हर साल लाखों रुपये का बजट मानूसन सीजन से पहले नाले-नालियों व सीवर लाइनों को साफ करने के लिए खर्च किया गया है, इसके बावजूद बरसात में सड़क व गलियां गंदे पानी से लबालब हो जाती है। आखिर लाखों रुपये का बजट कहां खर्च होता है। नालों व सीवर लाइन को साफ करने का कार्य कहीं दिखाई भी नहीं देता तो वह लाखों रुपये कहां जाते हैं। यह कहना है शहर के आमजन का। जो मानसून की पहली बारिश में ही गलियों व सड़कों पर खड़े गंदे पानी से परेशान रहे। हालात ऐसे थे कि पहली बारिश में लोगों के घरों में सीवर का गंदा पानी बेक मार गया। कई कॉलोनियों में बारिश के बाद बदबू फैली हुई है। गलियों में बुधवार सायं तक गंदा पानी खड़ा रहा, जिससे साफ जाहिर होता है कि नालों व सीवर लाइनों की सफाई नहीं हुई, अगर हुई होती तो आठ-10 घंटे में पानी उतर जाना चाहिए थे। जगह-जगह खड़े गंदे पानी ने सड़कों की सूरत भी बिगाड़ कर रख दी है। प्रमुख गुलजारी लाल नंदा मार्ग जगह-जगह से टूट गया है। जिस पर चलना अब खतरे से खाली नहीं रहा है। ये सारे हालात तो मानसून की पहली बारिश के हैं। अभी तो मानसून सीजन के दो माह बाकी हैं। पहली बारिश में ही जोहड़ बन गई सड़कें : ओमपाल
विष्णु कॉलोनी निवासी ओमपाल का कहना है कि उपायुक्त ने लगभग एक माह पहले ही जनस्वास्थ्य विभाग व नगर परिषद को आदेश दिए थे कि नालों व सीवर लाइनों की सफाई का कार्य मानसून से पहले पूरा कर लिया जाए। इसके बावजूद भी प्रशासन ने समय पर सफाई नहीं की। रेलवे रोड पर कहीं भी नालों व सीवर लाइन की सफाई होते उन्होंने नहीं देखी। उनका कहना है कि रेलवे रोड का निर्माण भी हुआ, सीवर के मैनहाल ऊंचे भी किए गए, मगर इसकी सफाई नहीं हुई। पिछले तीन साल से नहीं देखा सफाई होते : भगवत दयाल
शहर वासी भगवत दयाल का कहना है कि सीवर लाइनों को बकेट से साफ करते हुए उन्होंने तीन साल से नहीं देखा है। जनप्रतिनिधि केवल अपने क्षेत्रों में ही सफाई कराते हैं। पार्षद भी अपने क्षेत्रों में सफाई से हाथ खींच लेते हैं। जितनी संख्या में सफाई कर्मी दिखाए जाते हैं, अगर उतने सफाई कर्मी सड़कों पर उतार आएं तो न तो सड़कों पर गंदगी मिलेगी और न ही नाले चॉक होंगे। कहां खर्च किए जाते हैं लाखों रुपये : अश्वनी
शहर वासी अश्वनी का कहना है कि हर साल नालों व सीवर लाइनों की सफाई के लिए लाखों रुपये का बजट खर्च होता है। अगर वे लाखों रुपये सही ढंग से खर्च किए जाएं तो बारिश के दौरान जलभराव की समस्या ही पैदा नहीं होगी। 30 अतिरिक्त सफाई कर्मी लगाए हैं सफाई के लिए : ईओ
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी बीएन भारती का कहना है कि नगर परिषद ने 30 अतिरिक्त कर्मी नालों की सफाई के लिए लगाए हैं। बारिश के दौरान जहां भी नाले जाम होंगे ये तुरंत मौके पर पहुंच कर सफाई करेंगे। इसके अलावा जेसीबी मशीन से नालों की सफाई की जा रही है। बकेट मशीन से कराई जाएगी रेलवे रोड के सीवर लाइन की सफाई : जेई
जनस्वास्थ्य विभाग के सीवर शाखा के जेई कुलदीप का कहना है कि रेलवे रोड की सीवर लाइन को बकेट मशीन से साफ कराया जाएगा। नालों की सफाई के लिए टेंडर हो गया है। इस पर कार्य आरंभ हो गया है। एक सप्ताह में सारी लाइनों की सफाई कर ली जाएगी।