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रोलर स्के¨टग खिलाड़ी आज विधायक के निवास पर करेंगे प्रर्शन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : प्रदेश सरकार द्वारा अपनी खेल नीति 2015 के तहत शामिल स्के¨टग

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 01:27 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 01:27 AM (IST)
रोलर स्के¨टग खिलाड़ी आज विधायक के निवास पर करेंगे प्रर्शन
रोलर स्के¨टग खिलाड़ी आज विधायक के निवास पर करेंगे प्रर्शन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

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प्रदेश सरकार द्वारा अपनी खेल नीति 2015 के तहत शामिल स्के¨टग प्रतियोगिता के कई इवेंट्स को खेल नीति से बाहर कर प्रदेश भर के हजारों रोलर स्के¨टग खिलाड़ियों के चेहरे पर मायूसी ला दी है। इस नई घोषणा से पूर्व स्के¨टग से जुड़ी प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुके कई खिलाड़ियों की नकद राशि भी अटक गई है। इसको लेकर खिलाड़ियों में भारी रोष है। मंगलवार को सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त करते हुए स्के¨टग खिलाड़ी विधायक सुभाष सुधा के निवास पर प्रदर्शन करेंगे।

बता दें कि खेल विभाग द्वारा विभिन्न खेलों को ओलंपिक और नॉन ओलंपिक कैटेगिरी में विभाजित किया जाता है। स्के¨टग नॉन ओलंपिक्स खेलों में आती हैं। स्के¨टग के तहत रोलर हॉकी, रोलर स्के¨टग, इन लाइन हॉकी आते हैं। 12 जुलाई 2018 को हरियाणा खेल नीति 2015 के तहत प्रदेश के स्पो‌र्ट्स एवं यूथ अफेयर्स विभाग द्वारा एक आदेश जारी कर स्के¨टग के इन लाइन हॉकी, क्वार्ड हॉकी, रोलर स्के¨टग के अलावा वुशू और पॉवर लि¨फ्टग खेलों को बाहर कर दिया गया। इसके तहत इन प्रतियोगिताओं में मेडल हासिल करने वाले खिलाड़ियों को भविष्य में कोई भी नकद पुरस्कार नहीं दिया जाएगा। विभाग के इस फैसले के विरोध स्वरूप वुशू और पॉवर लि¨फ्टग खेलों से जुड़े खिलाड़ियों व संगठनों के एतराज पर आठ अगस्त 2018 को प्रदेश के खेल एवं युवा विभाग द्वारा वुशू और पावर लि¨फ्टग प्रतियोगिताओं को खेल नीति 2016-17 के तहत नकद पुरस्कार की राशि जारी कर दी गई है, जबकि स्के¨टग से जुड़ी प्रतियोगिताओं की अनदेखी की गई। इसको लेकर स्के¨टग खिलाड़ी विरोध कर रहे हैं। अदालत की शरण में पहुंचे खिलाड़ी इस अनदेखी के खिलाफ खिलाड़ियों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में सरकार के इस फैसले के विरोध में अपील दायर की है। खिलाड़ियों की तरफ से वकील राजीव सिद्धू ने बताया कि न्यायालय ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार से नौ अक्टूबर 2018 को जवाब मांगा है। इस अपील के माध्यम से याचिकाकर्ताओं द्वारा सरकार से पूछा गया है कि नई खेल नीति के तहत स्के¨टग तो रखी गई है, पर उसके इवेंट्स बाहर क्यों रखे गए हैं, जबकि वे एक ही हैं।


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