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छठ पूजा के लिए केडीबी प्रशासन की तैयारियां अधूरी

31 को नहाय खाय से छठ पर्व का आगाज हो जाएगा। ठीक चार दिन बाद श्रद्धालु अस्त होते सूर्य और अगले दिन उदय होते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए ब्रह्मासरोवर में उतरेंगे मगर केडीबी प्रशासन ने अभी तक इसके लिए तैयारी ही नहीं की। ऐसी मान्यता है कि सूर्य को अ‌र्घ्य देते हुए श्रद्धालु के कमर तक पानी आना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 08:40 AM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 06:36 AM (IST)
छठ पूजा के लिए केडीबी प्रशासन की तैयारियां अधूरी
छठ पूजा के लिए केडीबी प्रशासन की तैयारियां अधूरी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: 31 को नहाय खाय से छठ पर्व का आगाज हो जाएगा। ठीक चार दिन बाद श्रद्धालु अस्त होते सूर्य और अगले दिन उदय होते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए ब्रह्मासरोवर में उतरेंगे मगर केडीबी प्रशासन ने अभी तक इसके लिए तैयारी ही नहीं की। ऐसी मान्यता है कि सूर्य को अ‌र्घ्य देते हुए श्रद्धालु के कमर तक पानी आना चाहिए। मगर ब्रह्मासरोवर की सीढि़यों पर कमर तक तो दूर टखनों तक पानी नहीं भरा गया है। जबकि कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर, अंबाला और दूसरे जिलों से भी पूर्वांचल के हजारों श्रद्धालु यहां छठ पर्व मनाने के लिए एकत्रित होंगे। ऐसे में केडीबी की लापरवाही हजारों श्रद्धालुओं को छठ माई का व्रत रखने पर मिलने वाले फल से अछूता रख सकती है। इसको लेकर छठ पर्व आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने अधिकारियों से सरोवर में पानी और सरोवर पर सुरक्षा की व्यवस्था करने की मांग की है। पदाधिकारी केडीबी अधिकारियों के साथ-साथ मंगलवार को उपायुक्त से मिलने भी पहुंचे और ब्रह्मासरोवर में जल भरने की मांग की। उपायुक्त डॉ. एसएस फुलिया ने समिति के पदाधिकारियों को ब्रह्मसरोवर में पानी की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है। पूजा का महत्व

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छठ पर्व सेवा समिति अध्यक्ष संतोष पासवान ने बताया कि जब तक सूर्यदेव पूर्णत: अस्त और उदय नहीं हो जाते तब तक श्रद्धालु पानी में खड़े रहते हैं। इस पूजा का महत्व कमर तक जल में खड़े होना माना जाता है। संतोष पासवान के अनुसार उन्होंने इस संदर्भ में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड मानद सचिव से मिलकर उन्हें ब्रह्मसरोवर के दोनों तरफ कुंडों में जल की व्यवस्था करने की मांग की थी, लेकिन अब तक स्थिति वैसे की वैसी है। पासवान के अनुसार अगर जल की व्यवस्था नहीं हुई तो श्रद्धालुओं को बहुत मायूसी होगी क्योंकि सूर्यदेव को अ‌र्घ्य देने में श्रद्धालुओं को भीड़-भाड़ में खड़े होने पर समस्या का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने जिला प्रशासन व केडीबी प्रशासन से मांग की कि यह उनका मुख्य त्योहार है और प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसी व्यवस्था करे, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी न हो। अगर पूजा पूरे विधान से न हुई तो श्रद्धालुओं को इसका काफी मलाल होगा। पुलिस सुरक्षा की भी की मांग

संतोष पासवान ने कहा कि पिछली बार स्नान के दौरान बहुत से लोगों की जेबें कटी थी और सामान चोरी हुआ था। इस बार पुलिस की चौकसी बढ़ाने की मांग भी प्रशासन से की गई है, ताकि दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं को यहां आकर किसी तरह की तकलीफ न हो। तीन नवंबर को छठ पर्व होगा संपन्न

31 अक्टूबर को नहाय-खाय व्रत की सारी तैयारियां पूरी करके घर की साफ-सफाई, घीया और चने की सब्जी खाई जाएगी। एक नवंबर को खरना आयोजित होगा। छत्तीस घंटे का उपवास शुरू होगा। सूर्यास्त के बाद व्रती खीर व रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। दो नवंबर को संध्या अ‌र्घ्य और तीन नवंबर को उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठ पर्व संपन्न हो जाएगा। मेलों के समय मिलता है ब्रह्मासरोवर में कम पानी

एक दिन पहले ही सोमवती अमावस्या थी, जिस पर हजारों श्रद्धालु स्नान करने के लिए ब्रह्मासरोवर में पहुंचे थे। मगर उन्हें ब्रह्मसरोवर के 15 फुट गहरे पानी से बाल्टियां निकाल निकालकर स्नान करना पड़ा। ब्रह्मासरोवर की सीढि़यों पर पानी था ही नहीं। ऐसे में जिन दिनों में सरोवर पर सबसे ज्यादा श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं। उन दिनों में ही जल की अपर्याप्त व्यवस्था श्रद्धालुओं को परेशानी में डालती है।


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