पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न गुलजारी लाल नंदा केंद्र में किया पौधरोपण
पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न गुलजारी लाल नंदा नीति एवं दर्शन शास्त्र केंद्र में शुक्रवार को पौधा रोपण कार्यक्रम के साथ पूर्णांग नैतिकता एवं दिव्य जीवन विषय पर व्याख्यान किया गया। चम्पक द्वादशी होने से स्वर्ण चम्पा वृक्षों के साथ पीपल बड़ तथा नीम की त्रिवेणी का रोपण किया गया।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न गुलजारी लाल नंदा नीति एवं दर्शन शास्त्र केंद्र में शुक्रवार को पौधा रोपण कार्यक्रम के साथ पूर्णांग नैतिकता एवं दिव्य जीवन विषय पर व्याख्यान किया गया। चम्पक द्वादशी होने से स्वर्ण चम्पा वृक्षों के साथ पीपल, बड़ तथा नीम की त्रिवेणी का रोपण किया गया। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. हिम्मत सिंह सिन्हा ने आचार्य शंकर के वेदांत से स्वामी विवेकानंद, रविनाथ टैगोर, अरविद के द्वारा कथित एवं प्रयुक्त व्यावहारिक वेदांत तथा पूर्णांक योग पर्यन्त रेखांकित करते हुए आधुनिक मनुष्य तथा समाज को दृष्टि के केंद्र में रखा। उन्होंने कहा कि आचार्य शंकर प्राचीन वेदांती है तो विवेकानंद अरविद नव्य वेदांती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के निर्माण की आधारशिला पूर्णांग नैतिकता है। मानव में वह सम्भावना है कि वह पूर्णांग योग एवं नीति से अनंत बन सकता है, और अनंत ब्रह्म ही है। मनुष्य अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार समाज में अधिक से अधिक श्रम एवं समर्पण करें तथा अपनी जरूरत के अनुसार समाज से ले। लाभ और परिग्रह अर्थात आवश्यकता से अधिक इकट्ठा करना अनैतिकता है, चोरी है, जिससे समाज का संतुलन बिगड़ता है। उन्होंन कहा कि वेदांत और नैतिकता की बात जूता गांठने वाले मोची की दुकान पर भी मिल सकता है।
अध्यक्षीय भाषण में राजकीय महाविद्यालय करनाल के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. जीवन बख्शी ने वेदांत व पूर्ण नैतिकता को गुरुओं की वाणी के बारे में बताया। उन्होंने नैतिकता का मूल अध्यात्म में देखा। गुरुबाणी से उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि मन तो जोत स्वरूप है अपना मूल पहचान। इस मौके पर नंदा केंद्र के कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेंद्र मोहन मिश्र ने उनकी की 121वीं जन्म जयंती तक होने वाले पौधारोपण, स्वच्छता तथा व्याख्यानों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह केंद्र प्रायोगिक, सामाजिक, नैतिकता का आचरण का एक सतत कार्यशाला बन सकता है। कार्यक्रम के बाद परिसर में 50 पौधे रोपे गए। कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ. ब्रजमोहन शर्मा, प्रो. ईश्वर मित्तल, मुकेश, प्रदीप, जगबीर, रविदत्त, डॉ. शशि मित्तल, मुकेश सैनी, वेद प्रकाश, शिव कुमार शामिल हुए।