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आनलाइन शिक्षा क्लास रूम का विकल्प नहीं बन सकती : प्रो. गोयल

पूर्व कुलपति एवं छठे राज्य वित्त आयोग के सलाहकर प्रो. एमएम गोयल ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा रूचि पैदा कर सकती हैं लेकिन क्लास रूम का विकल्प नहीं बन सकती।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 05:56 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 05:56 AM (IST)
आनलाइन शिक्षा क्लास रूम का विकल्प नहीं बन सकती : प्रो. गोयल
आनलाइन शिक्षा क्लास रूम का विकल्प नहीं बन सकती : प्रो. गोयल

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पूर्व कुलपति एवं छठे राज्य वित्त आयोग के सलाहकर प्रो. एमएम गोयल ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा रूचि पैदा कर सकती हैं, लेकिन क्लास रूम का विकल्प नहीं बन सकती। विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए हमें अंग्रेजी भाषा नहीं बल्कि हिग्लिश में गीता और अनु-गीता आधारित शिक्षकों के आध्यात्मिक प्रशिक्षण के साथ चुनौती को स्वीकार करना होगा।

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उन्होंने यह बात कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के सहयोग से यूजीसी-एचआरडीसी के ऑनलाइन गुरुदीक्षा फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कही। इसका विषय नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में शिक्षकों की भूमिका रहा। कार्यक्रम के समन्वयक डा. राजवीर सिंह ने प्रो. एमएम गोयल की उपलब्धियों का प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया। प्रो. गोयल ने कहा कि हमें ई-शिक्षण की सीमाओं को पार करने के लिए रणनीतियों पर काम करना होगा। उनका मानना है कि चितनशील बनने के लिए आमने-सामने शिक्षण की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए हमें अंग्रेजी भाषा नहीं बल्कि हिग्लिश में गीता और अनु-गीता आधारित शिक्षकों के आध्यात्मिक प्रशिक्षण के साथ चुनौती को स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी शैक्षिक संस्थानों के कामकाज में सुधार के लिए शिक्षकों की बिरादरी को स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्रवाई उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) शिक्षक बनकर सभी चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। हमें शिक्षकों की कमी को कम करने के लिए वरिष्ठ छात्रों में से छाया शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र में रहकर गीता के बारे में बहुत कुछ मिल सकता है। इसके लिए सबको आगे आना होगा।


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