नारी जागृति: अब धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में महिलाओं ने तोड़ी वर्जना, बदल दी वर्षों पुरानी यह प्रथा
देश में कई धार्मिक स्थलों पर महिलाओं को लेकर कायम वर्जनओं के टूटने के बाद धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भी ऐसा ही कदम उठाया गया है। महिलाओं ने एक पुरानी परंपरा को तोड़ दिया है।
कुरुक्षेत्र, [पंकज आत्रेय]। समाज बदल रहा है। महिलाओं को लेकर अब रूढि़वाद और वर्जनाएं टूट रही हैं। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भी महिलाओं ने वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़ दिया है। यहां श्रीब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा में महिलाओं की भागीदारी नहीं होती थी, लेकिन अब यह वर्जना टूट गई है। सभा ने धर्मनगरी में नारी सशक्तीकरण को प्रोत्साहन देते हुए पहली बार महिलाओं को सदस्यता प्रदान की है।
श्रीब्राह्मण-तीर्थोद्धार सभा के चुनाव में उतरीं महिलाएं, 195 महिलाओं ने दिया है आवेदन
अहम बात यह है कि सदस्यता ग्रहण करते ही महिलाओं ने सभा के चुनावी दंगल में ताल भी ठोंक दी है। 42 साल में यह पहला मौका है, जब नए सदस्यों के रूप में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं सभा में शामिल हुई हैं। 14 मार्च तक सदस्यता के लिए कुल 386 ने आवेदन किया। इनमें से 195 महिलाएं हैं। श्रीब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा में कुल 1409 सदस्य हैं।
चुनाव अधिकारी डॉ. सत्यदेव शर्मा, एडवोकेट केके कौशिक, सहायक चुनाव अधिकारी अश्विनी ऋतवाल और रामजुआरी शर्मा ने बताया कि कॉलेजियम संख्या 12 से दीप्ति, 97 से रजनी और 102 से लीला ने नामांकन दाखिल किया है। इन तीनों का बतौर सदस्य चुना जाना तय है, क्योंकि किसी ने भी इनके खिलाफ नामांकन नहीं भरा है। वैसे तो इस बार 105 में से किसी भी कॉलेजियम पर चुनाव नहीं होगा। 105 ने ही नामांकन भरे हैं।
1977 में दो संस्थाओं को मिलाकर पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने किया था एक
बृहस्पतिवार को इनकी छंटनी थी। सभी आवेदन सही पाए गए हैं। आज नाम वापसी होगी। लिहाजाआज शाम तक चुनाव परिणाम की भी घोषणा हो जाएगी। नामांकन करने वाले सभी उम्मीदवार चुन लिए जाएंगे। इसका श्रेय सभा के मुख्य सलाहकार एडवोकेट जयनारायण शर्मा को दिया जा रहा है।
ऐसे बनी तीर्थोद्धार सभा
शुरुआत में थानेसर में दो सभाएं थीं। एक तीर्थ पुरोहित सभा और दूसरी पंचायत ब्राह्मणन। तीर्थ पुरोहित सभा के प्रधान ओंकार नाथ तिवाड़ी थे और पंचायत ब्राह्मणान के अध्यक्ष बालकृष्ण मुंतजर। दोनों ही सभाओं में खींचतान और विवाद रहता था। वर्ष 1977 में जब पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा यहां से सांसद थे तो उन्होंने शहर के दोनों प्रमुख संस्थाओं में चल रहे विवाद को खत्म करने की ठानी। दोनों को मिलाकर श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा की स्थापना की गई, जिसके पहले प्रधान केके कौशिक बने।
1977 से पहले के निवासी ही सदस्य
सभा के संविधान के अनुसार थानेसर नगर परिषद की सीमा में वर्ष 1977 से पहले से रहने वाले ब्राह्मण समाज के लोग ही इसके सदस्य बन सकते हैं। इस नियम पर कभी कोई विवाद नहीं रहा। हर साल सदस्यता का नवीनीकरण किया जाता है। हालांकि इस बार यह तीन साल बाद हुआ। सभा की कार्यकारिणी तीन साल के लिए चुनी जाती है।