हरियाणा की हस्तकला पर शोध करेंगे एनआइडी के शोधार्थी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन की निदेशक डॉ. अनीता आहुजा ने कहा कि यह पवेलियन हरियाणा की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं से पर्यटकों को रुबरु करवा रहा है। इस प्रकार के आयोजनों से आज की युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिलता है। आज हम आधुनिकता की दौड़ में अपनी प्राचीन परंपराओं को भूलते जा रहे हैं इस प्रकार के कार्यक्रम से हम उन्हें फिर से पुनर्जीवित कर सकते हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन की निदेशक डॉ. अनीता आहुजा ने कहा कि यह पवेलियन हरियाणा की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं से पर्यटकों को रुबरु करवा रहा है। इस प्रकार के आयोजनों से आज की युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिलता है। आज हम आधुनिकता की दौड़ में अपनी प्राचीन परंपराओं को भूलते जा रहे हैं, इस प्रकार के कार्यक्रम से हम उन्हें फिर से पुनर्जीवित कर सकते हैं। वह विरासत हेरिटेज का अवलोकन करने के पश्चात कलाकारों से बातचीत कर रही थी। उन्होंने कहा कि एनआइडी संस्थान के विद्यार्थी हरियाणा की हस्तशिल्प एवं लोककला पर शोध करेंगे। विरासत हेरिटेज विलेज में हरियाणा की चारपाई एवं पिढ्ढा कला को प्रदर्शित किया गया है। यहां पर हरियाणा की चारपाई कला के माध्यम से बुनाई के अलग-अलग डिजाइन प्रस्तुत किए गए हैं। इन डिजाइनों में लहरिया, पगडंडी, चोपड़, फुल-पति तथा अभिमन्यु का चक्रव्यूह विशेष रूप से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। हरियाणा की चारपाई के विषय में डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणा की चारपाई कला का इतिहास सेकड़ों वर्ष पुराना है। गांव में बैठकों तथा चौपालों में चारपाई को प्रयोग करने की परंपरा रही है। यहां पर पिढ्ढा, खटोला, खाट, चारपाई व पलंग आदि की बुनाई को प्रस्तुत किया गया है। युवा पीढ़ी हरियाणा की बुनाई कला के विषय में विस्तार से जानकारी हासिल कर रही है।