एचएसवीपी के ट्यूबवेलों पर नहीं हो रही क्लोरिनेशन, चार में से एक पर वर्किंग में मिली डोजर मशीन
एचएसवीपी की लापरवाही के चलते सेक्टर-3 में पीलिया फैला है। ट्यूबवेलों पर क्लोरिनेशन नहीं हो रही है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सेक्टर-3 में पीलिया फैलने के पीछे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्राधिकरण के ट्यूबवेलों पर क्लोरिनेशन ही नहीं हो रही थी। यह लोगों के बीमार पड़ने का बड़ा कारण बना। स्वास्थ्य विभाग ने चार ट्यूबवेलों की जांच की तो अधिकारी हैरान रह गए। चार में से एक ट्यूबवेल पर ही क्लोरिनेशन किया जा रहा था, जबकि दो पर मशीन खराब मिली और एक पर मशीन ही नहीं थी। नियमों के अनुसार प्रत्येक ट्यूबवेल पर क्लोरिनेशन करना जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग ने सेक्टर में सप्लाई किए जा रहे पानी को तुरंत रुकवा दिया और डोजर मशीन से सुपर क्लोरिन करने के लिए आदेश दिए।
वहीं सोमवार को सेक्टर तीन में पीलिया के 11 नए मरीज मिले हैं। अब मरीजों की संख्या 18 पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर प्राधिकरण यूं ही बिना क्लोरिनेशन के पानी सप्लाई करता रहा तो यह संख्या बढ़ सकती है। ओटी सैंपल आया फेल
जिला सर्वेक्षण अधिकारी डॉ. सुदेश सहोता सोमवार को एचएसवीपी के वाटर जेई के साथ संयुक्त रूप से सेक्टर तीन के चार नंबर ट्यूबवेल पर क्लोरिनेशन की जांच करने पहुंचे। डोजर मशीन खराब मिली। पानी की जांच की तो ओटी सैंपल मौके पर ही फेल आ गया। डॉ. सहोता ने कहा कि यह पीने लायक पानी नहीं है। एचएसवीपी के वाटर जेई नरेंद्र ने सफाई दी कि यह कभी-कभी चलता है। आठ नंबर ट्यूबवेल पर दोनों विभागों के अधिकारी जांच करने पहुंचे तो यहां पर डोजर मशीन चलती मिली। अधिकारियों ने सुपर क्लोरिनेशन करने की सलाह दी। ट्यूबवेल नंबर तीन पर क्लोरिनेशन करने वाली डोजर मशीन खराब मिली। डॉ. सहोता ने कहा कि यहां नजदीक ही स्कूल है और क्लोरिनेशन न करना चिता का विषय है। पानी का सैंपल फेल आया। बैक्ट्रोलॉजिकल सैंपल लेकर जनस्वास्थ्य विभाग की लैब में भेजा है।
ट्यूबवेल नंबर छह का पानी सेक्टर में सप्लाई हो रहा था। डॉ. सहोता ने ट्यूबवेल पर डोजर मशीन नहीं दिखने की बात कही तो एचएसवीपी जेई नरेंद्र ने बताया कि यहां डोजर मशीन नहीं है। सुनकर डॉ. सहोता बोले कि जेई साहब कभी आप इस एरिया में आए हो। उन्होंने तुरंत पेयजल सप्लाई को बंद करने को कहा। सिविल सर्जन के सवालों का जवाब नहीं दे पाए एसडीओ
जिला सिविल सर्जन डॉ. सुखबीर भी मौके पर पहुंचकर पेयजल सप्लाई पाइप लाइन की लीकेज को देखा। उन्होंने एसडीओ शीतल सिंह से पूछा कि आपने पानी के सैंपल कब लिए थे? एसडीओ बोले कि हमने लिए थे। सीएमओ बोले कि हमारे सैंपल फेल आ रहे हैं, आपके क्यों नहीं आए? इस पर एसडीओ कोई जवाब नहीं दे पाए। सीएमओ ने एक्सईएन रोहताश को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। डीसी कार्यालय में सूचना देने के बाद एक्सईएन ने फोन उठाया। जेई ने खुद खोल दी पोल
चार ट्यूबवेल में से जब एक पर ही क्लोरिनेशन मिला तो डॉ. सुदेश सहोता ने सवाल उठाया। जेई नरेंद्र अपने आप बोल गए कि जबसे ट्यूबवेल ऑटोमेटिक चलने शुरू हुए हैं तबसे कर्मचारी भी यहां आकर नहीं देखते। डॉ. सुदेश सहोता ने इसे लापरवाही बताते हुए कहा कि यह गलत है। --दो सप्ताह से पीलिया
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सेक्टर-3 के गौरव ने बताया कि उनकी हालत बहुत खराब हो गई थी। निजी अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। छह दिन के बाद 19 जनवरी को छुट्टी मिली है। इंफेक्शन अब भी है। अब पता लगा है कि दूषित पानी से ऐसा हुआ है। कई दिनों तक दूषित पेयजल सप्लाई
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हाउसिग बोर्ड निवासी बलविद्र कौर ने बताया कि गत कई दिनों से दूषित पेयजल आ रहा था। एक दिन तो गंदा पानी लोग प्रयोग ही नहीं कर पाए। पार्षद शिकायत करने के बाद स्थिति कुछ ठीक हुई। एसडीओ बार-बार बदलते गए
एसडीओ शीतल सिंह से जब पूछा गया कि पेयजल की सैंपलिग कब-कब की गई? वे पहले बोले कि छह महीने में लेते हैं। फिर बोले कि समय-समय पर सैंपलिग की जाती है। इसके बाद बोले कि एक व्यक्ति अकेला क्या-क्या करें? पहले से बीमार हैं और ऊपर से सात जिलों का काम उन्हीं के ऊपर है। एसडीएम को शिकायत की तो जागा एचएसवीपी : योगेश शर्मा
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पार्षद के बेटे योगेश शर्मा ने बताया कि एक महीने से पेयजल पाइप लाइन में लीकेज के बारे में एचएसवीपी अधिकारियों को अवगत कराया जा रहा था। किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। दो दिन पहले एसडीएम को शिकायत की। इसके बाद ही एचएसवीपी जागा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पहुंचे। अगर समय रहते एचएसवीपी अधिकारी गंभीरता से उस पर काम करते तो इतने लोग लीवर के इंफेक्शन की चपेट में न आते। सुपर क्लोरिनेशन की जरूरत : डॉ. सुखबीर
सिविल सर्जन डॉ. सुखबीर मेहला ने बताया कि बिना क्लोरिनेशन पानी सप्लाई को रोक दिया है। प्राधिकरण को सुपर क्लोरिनेशन के साथ ही पानी सप्लाई करना होगा।