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नपा ने टेंडर से अधिक दे दी ठेका लेने वाली कंपनी को पेमेंट

नगरपालिका शाहाबाद द्वारा बरसाती नाला बने बिना टेंडर से अधिक राशि ठेका लेने वाली कंपनी को देने का मामला आरटीआइ द्वारा प्रकाश में आया है। आरटीआइ कार्यकर्ता राकेश बैंस ने इस मामले को उजागर किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 09:37 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 09:37 AM (IST)
नपा ने टेंडर से अधिक दे दी ठेका लेने वाली कंपनी को पेमेंट
नपा ने टेंडर से अधिक दे दी ठेका लेने वाली कंपनी को पेमेंट

संवाद सहयोगी, शाहाबाद : नगरपालिका शाहाबाद द्वारा बरसाती नाला बने बिना टेंडर से अधिक राशि ठेका लेने वाली कंपनी को देने का मामला आरटीआइ द्वारा प्रकाश में आया है। आरटीआइ कार्यकर्ता राकेश बैंस ने इस मामले को उजागर किया है।

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यह जानकारी देते हुए राकेश कुमार बैंस ने बताया की शाहाबाद में बरसाती पानी की निकासी बड़ी समस्या थी। इसे लेकर नगरपालिका शाहाबाद द्वारा 602 लाख रुपये की एक योजना तैयार की गई थी। इसके तहत बराड़ा रोड के साथ-साथ शहीद ऊधम सिंह चौक से शुरू होकर, अनाज मंडी से होते हुए लाडवा रोड स्थित महालक्ष्मी मोटर के पीछे डिस्पोजल टैंक तक यह नाला बनना था और जिसे की छह महीने में पूरा किया जाना था, लेकिन इस नाले में पानी कैसे और कहां जाएगा, इसका कोई पता नहीं न ही कोई योजना रही। जब इस बारे जन-स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे विभाग से इस योजना के बारे में कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया और न ही कोई अनुमति ली गई है।

राकेश कुमार के मुताबिक शुरू-शुरू में नगरपालिका के अधिकारियों ने इस योजना को लेकर तेजी दिखाई गई थी परंतु जैसे-जैसे कार्य शुरू होता गया, अधिकारी चुप्पी साधने लगे। प्राकृतिक ढाल के कारण यह नाला बरसाती पानी निकालने की बजाए विजय कॉलोनी और उसके आगे जीटी रोड तक नाले का तल काफी ऊंचा हो गया और पानी निकालने की बजाए कॉलोनियों में पानी रुकना शुरू हो गया था। आज भी मारकंडा पेट्रोल पंप से लेकर पार्षद पंडित टेकचंद के खेत तक नाले का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है।

33 लाख रुपये दे दिए ज्यादा

राकेश कुमार ने बताया की नगरपालिका ने 602 लाख रुपये की इस योजना की शुरूआत करते हुए बिना किसी अन्य विभाग की अनुमति लिए टेंडर अनुमानित लागत 5,55,16000 रुपये का जारी किया, जोकि करनाल की एक कंपनी के नाम 5,23,51,590 रुपये में जारी किया गया था। जिसे यह कार्य छह माह में पूरा करने की शर्ते सहित 31 जनवरी 2017 को नगर पालिका द्वारा अनुमति पत्र जारी किया गया। नई जानकारी अनुसार अवैध कब्जों के कारण आजतक भी यह कार्य पूरा नहीं हो सका जबकि ठेकेदार को आठ बिलों में 5,56,56,000 रुपये की रकम दे दी गई जोकि 33,04,410 रुपये टेंडर से ज्यादा है।

लोकायुक्त की अदालत में करेंगे केस दायर

राकेश बैंस ने हैरानी जताते हुए कहा कि इतनी बड़ी रकम बिना काम पूरा किए कंपनी को दे दी गई और ऑडिट विभाग ने भी इस नाले की रकम को लेकर कोई टिप्पणी या पत्राचार नहीं किया। नगरपालिका से मिली जानकारी में बताया की काम लेट करने का कोई भी जुर्माना कंपनी से नहीं वसूला गया। राकेश कुमार ने बताया की जल्दी ही सारे मामले की जांच के लिए लोकायुक्त हरियाणा की अदालत में केस दायर किया जाएगा।


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